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Womens Polytechnic : चार डिप्लोमा कोर्सों में छात्राओं ने नहीं दिखाई रुचि, परिषद ने मांगी रिपोर्ट

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Published : Jan 16, 2023, 4:49 PM IST

पॉलिटेक्निक संस्थानों में तीन कोर्स पीजी डिप्लोमा इन ड्रोन टेक्नोलॉजी, पीजी डिप्लोमा कोर्स इन साइबर सिक्योरिटी और पीजी डिप्लोमा इन इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) को राजधानी के राजकीय महिला पॉलिटेक्निक और राजकीय पॉलिटेक्निक में संचालित करने की मंजूरी दी गई थी. पहली बार हुई प्रवेश प्रक्रिया में छात्राओं ने ना के बराबर रुचि दिखाई थी. इस बाबत प्राविधिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों से समीक्षा रिपोर्ट मांगी है.

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लखनऊ : पॉलिटेक्निक संस्थानों के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाने के लिए इंडस्ट्रीज की मांग के अनुसार चार पीजी डिप्लोमा कोर्स का संचालन शुरू किया गया. इन कोर्सों को ग्रुप 'जी' में रखा गया. जिन्हें काउंसिलिंग के समय विद्यार्थी चुन सकते थे. शासन ने इनमें से तीन कोर्स पीजी डिप्लोमा इन ड्रोन टेक्नोलॉजी, पीजी डिप्लोमा कोर्स इन साइबर सिक्योरिटी और पीजी डिप्लोमा इन इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) को राजधानी के राजकीय महिला पॉलिटेक्निक और राजकीय पॉलिटेक्निक में संचालित करने की मंजूरी दी थी. एक वर्ष की अवधि वाले तीनों कोर्सों में 75-75 सीटें भी निर्धारित थी. शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईआरडीटी) ने इसके लिए पाठ्यक्रम तैयार किया था. पहली बार हुई प्रवेश प्रक्रिया में छात्राओं ने ना के बराबर रुचि दिखाई. जिसके बाद प्राविधिक शिक्षा परिषद इस साल प्रवेश से पहले इन तीनों कोर्सेज को लेकर सभी जिलों से मांगी के समीक्षा रिपोर्ट.

राजकीय महिला पॉलिटेक्निक.

विभाग द्वारा इन कोर्सेज का दोबारा से शुरू होगा सर्वे : विभाग के अधिकारी जिलों के स्कूलों में जाकर छात्राओं से उनके रुचि के बारे में जानकर कोर्स में जो कमियां हैं उसे दूर करेंगे. साथ ही छात्राओं को अवगत कराने के साथ ही इन कोर्स को करने के बाद प्लेसमेंट के जानकारी भी देंगे. इसके लिए विभाग ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दिया है. ताकि अप्रैल से शुरू होने जा रहे प्रवेश प्रक्रिया से पहले छात्रों का रुझान जानकर इन कोर्सों में उस हिसाब से संशोधन कर इन्हें और रोजगार परक बनाया जा सके. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इंडस्ट्रीज की डिमांड को देखते हुए प्राविधिक शिक्षा विभाग और व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग ने शासन के निर्देश पर दिसंबर 2021 में कवायद शुरू की थी. आईटीआई और पॉलिटेक्निक में कोर्सों को शुरू कराना था. इसके लिए समिति का गठन किया गया था. यह समितियां तीन सप्ताह में कोर्सों के बारे में जानकारी जुटाकर शासन को अवगत कराया. इन कोर्सों को संचालित करने के पीछे विभाग का मानना था कि वर्तमान में संचालित पाठ्यक्रम छात्राओं को लुभा लेगी. पर पहले साल हुए प्रवेश प्रक्रिया के परिणाम आने के बाद, अब शासन ने दोबारा से सभी महिला पॉलिटेक्निक से इन सभी नए पाठ्यक्रम से छात्राओं की संख्या में इजाफा करने के लिए समिति बना कर आसपास के राजकीय व एडेड इंटर कॉलेजों में जा कर दोबरा से सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद प्रभारी सचिव राम रतन ने बताया कि वर्तमान में इन कोर्सों की बहुत उपयोगिता है, फिर भी इन कोर्सों में दाखिले संतोषजनक न हो पाने की समीक्षा की जा रही है. प्रचार-प्रसार कर युवाओं को जागरूक किया जाएगा. उम्मीद है अगले सत्र में दाखिले बेहतर होंगे.

जानकारों का मानना है प्रचार प्रसार में रह गई कमी : पॉलिटेक्निक से जुड़ों जानकारों का कहना है कि सरकार को पहले प्रदेश के कुछ ऐसे इलाकों की राजकीय पॉलिटेक्निक में इन कोर्सों को संचालित कराना चाहिए था, जहां इंडस्ट्रीज की ऐसे हुनर वाले युवाओं की आवश्यकता होती. जबकि प्रदेश के 14 जिलों के 21 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में इन नए डिप्लोमा कोर्सों को शुरू करा दिया गया. अमूमन लोगों का मानना है कि पॉलिटेक्निक सिर्फ हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्रों के लिए है. ऐसे में यह ग्रेजुएशन वाले कोर्सों के बारे में छात्रों को जानकारी नहीं हो सकी. इसके लिए विस्तृत प्रचार-प्रसार की जरूरत थी, जो उस लेवल तक नहीं किया जा सका.

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