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भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति

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Published : Jun 7, 2022, 6:36 PM IST

यूपी के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. इसके चलते अब तक तमाम कुलपति इस्तीफा दे चुके हैं.

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राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर भ्रष्टाचार का आरोप

लखनऊ:उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर अब सवाल उठने लगे. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कुछ दिन पहले ही अवध विश्वविद्यालय के कुलपति के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है. उन पर नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप लग रहे थे. इसके पहले आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति से भी इस्तीफा ले लिया गया था. गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति को लेकर लगातार विवाद चल रहा है. शिक्षकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है.

वहीं, आज ETV Bharat की इस खास पेशकश में हम आपको बताएंगे कि कुलपति जैसे प्रतिष्ठित पद पर बैठने वाले लोगों पर कैसे-कैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं.

अवध विश्वविद्यालय

अयोध्या के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह की तरफ से बीते सप्ताह इस्तीफा दिया गया है. आधिकारिक रूप से निजी कारणों को इस्तीफा दिए जाने की बात आई है, लेकिन इसके पीछे कहानी कुछ और है. कुलपति प्रोफेसर रवि शंकर सिंह पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लग रहे थे. अवैध नियुक्तियों से लेकर दीपोत्सव के नाम पर अवैध वसूली तक की बात सामने आई है, जिसके चलते राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनसे इस्तीफा ले लिया. उन्हें अभी करीब डेढ़ साल ही हुआ था.

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आगरा विश्वविद्यालय

आगरा के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल का इस्तीफा भी जनवरी के महीने में ले लिया था. उन पर वित्तीय अनियमितताओं के साथ संविदा भर्ती में गड़बड़ी तक के आरोप लगे थे, जिसके बाद उनका इस्तीफा हुआ, जिसे राजभवन ने तत्काल स्वीकार भी कर लिया. वर्तमान में इस विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक को दी गई है.

कृषि विश्वविद्यालय कानपुर

कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर दुनिया राम सिंह को उनके पद से करीब 1 साल के बाद ही हटाया गया था. इन पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे. प्रारंभिक जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद उन्हें पद से हटाया गया था.

गोरखपुर विश्वविद्यालय

गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के कुलपति भी इस समय सवालों के घेरे में हैं. शिक्षकों की तरफ से उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा गया है. शिक्षक उन पर अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए हटाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक उनकी मांगों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

नियुक्ति प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में

उत्तर प्रदेश में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का चयन राजभवन के स्तर पर किया जाता है. इसके लिए बकायदा है कि स्क्रीनिंग कमेटी का गठन होता है जिसमें, राजभवन के प्रतिनिधि के साथ विश्वविद्यालय और सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. इसके बावजूद इस तरह के प्रकरण सामने आ रहे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक डॉ.नरसिंह वर्मा इसको लेकर कई बार आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. उनकी तरफ से नियुक्ति की प्रक्रिया पर ही अंगुली उठाई गई है. आरोप लगाए गए कि प्रभावशाली लोगों को इन पदों पर बैठाया जा रहा है. चयन प्रक्रिया में अगर लोगों की योग्यता को वरीयता मिले तो इस तरह की गड़बड़ियां रुक सकती हैं.

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