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यूपी की सियासी जमीन वापस पाने के लिए बसपा सुप्रीमो ने अपनाया अनोखा पैंतरा, जानिए क्या है रणनीति

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Published : Apr 10, 2023, 9:12 AM IST

बसपा सुप्रीमो ने यूपी की सियासी जमीन वापस पाने के लिए मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम वाले नारे और गेस्ट हाउस कांड को हथियार बनाया है. बसपा प्रमुख को भरोसा है कि इस सियासी पैंतरे से जनता की सहानुभूति जरूर हासिल होगी. इसके अलावा मायावती अपने वोट बैंक को लेकर समाजवादी पार्टी के साथ अन्य दलों को भी घेरना शुरू कर दिया है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की घोषणा हो चुकी है. अगले साल (2024) लोकसभा चुनाव होने हैं. उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की स्थिति फिलहाल अच्छी नहीं है. विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट ही बहुजन समाज पार्टी के खाते में आई थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के 10 प्रत्याशी जीते थे. तब मायावती ने अखिलेश यादव से गठबंधन किया था, लेकिन अब फिर से बसपा और सपा ने एक दूसरे से दूरी बना ली है और दोनों पार्टियां एक दूसरे पर जमकर हमले कर रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने वर्ष 1995 का गेस्ट हाउस कांड और वर्ष 1993 में कांशी राम और मुलायम के एक साथ आने पर "मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम" का नारे को हवा देकर जनता के बीच पासा फेंका है.



बता दें, फिलहाल बहुजन समाज पार्टी की स्थिति उत्तर प्रदेश में ठीक नहीं है. पार्टी के सितारे पिछले कई साल से गर्दिश में हैं. बावजूद इसके अब भी पार्टी ने उम्मीद की डोर छोड़ी नहीं है. मायावती को विश्वास है कि पार्टी का सितारा एक बार फिर चमकेगा और स्थिति पहले की तरह ही बेहतर होगी. निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने सभी पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह जनता के बीच जाकर पार्टी की नीतियों का प्रचार प्रसार करें और विपक्षी दलों की गलत नीतियों को भी लोगों को बताएं. इससे बहुजन समाज पार्टी की स्थिति मजबूत होगी. बीएसपी सुप्रीमो के निर्देश पर बहुजन समाज पार्टी के नेता लोगों के बीच जा रहे हैं.

दशकों बाद याद आया नारा और कांड

बीएसपी सुप्रीमो मायावती को कई दशक बाद एक ऐसा कांड याद आया जो उन्हें लगता है कि चुनाव में सहानुभूति वोट देने में सफल हो सकता है. मायावती ने अपने पदाधिकारियों की हाल ही में बैठक बुलाई थी. जिसमें उन्होंने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया था. यह गेस्ट हाउस कांड साल 1995 में हुआ था. जब आरोप लगा था कि समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बहुजन समाज पार्टी मुखिया मायावती के साथ गेस्ट हाउस में अभद्रता की थी. इसके बाद हाल ही में जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया तो मायावती को साल 1993 की याद आ गई. उस समय मंच पर एक नारा दिया गया था कि "मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्री राम".

बसपा सुप्रीमो का साफ कहना है कि यह नारा बहुजन समाज पार्टी ने नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी ने दिया था. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी पर कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में जब बहुजन समाज पार्टी से भाजपा होते हुए सपा में गए एक नेता ने मंच पर जब ये नारा दोहराया या तो उस समय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंच पर मौजूद थे. उन्होंने इस पर कोई रोक नहीं लगाई. इससे साफ जाहिर है कि समाजवादी पार्टी हमेशा से ही सर्व समाज की हितेषी नहीं रही है. बीएसपी सुप्रीमो को लग रहा है कि "नारा" और "कांड" जनता को याद दिलाने से समाजवादी पार्टी की छवि धूमिल होगी और इसका फायदा बहुजन समाज पार्टी को मिलेगा. हालांकि यह चुनाव का नतीजा बताएगा कि इसका कितना फायदा और नुकसान बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को हुआ है.



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