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सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने बनाया 'बीजेपी प्लान'

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Published : Jul 20, 2021, 7:31 PM IST

उत्तर प्रदेश में 3 दशक से ज्यादा समय से सत्ता से दूर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा (BJP) की तरह रणनीति बनाई है. इसी तहत सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने हर विधानसभा सीट पर दो से तीन दावेदारों को मैदान में उतारा है.

कांग्रेस में एक सीट पर दो से तीन दावेदार.
कांग्रेस में एक सीट पर दो से तीन दावेदार.

लखनऊः प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) का काउंटडाउन शुरू हो गया है. छह माह बाद चुनाव होने की संभावना को देखते हुए सभी पार्टियां अभी से तैयारियां कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी (Congress Party) भी तैयारियों के मामले में पीछे नहीं है. उत्तर प्रदेश में 3 दशक से ज्यादा समय से सत्ता से दूर कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी भाजपा (BJP) के नक्शे कदम पर चल रही है. कांग्रेस को लग रहा है कि उसकी ये स्ट्रेटजी काम आएगी और 2022 में पिछले 32 साल से चली आ रही सत्ता की भूख मिट सकेगी. कांग्रेस ने भाजपा की तरह हर विधानसभा सीट पर दो से तीन दावेदारों को मैदान में उतार दिया है. पार्टी को लगता है कि जनता के बीच प्रत्याशियों की मौजूदगी से कांग्रेस की उपस्थिति दर्ज होगी और इसका फायदा चुनाव में निश्चित तौर पर मिलेगा.

कांग्रेस में एक सीट पर दो से तीन दावेदार.
कांग्रेस में एक सीट पर दो से तीन दावेदार
कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी 2022 में कांग्रेस यूपी की गद्दी पर सत्तासीन हो सके इसके लिए सड़कों पर उतर कर पसीना बहाने लगी हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी की तरफ छोटे दलों का भी आकर्षित न होना पार्टी नेताओं के लिए चिंता का सबब बन रहा है. लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इस बार पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह की स्ट्रेटेजी अपनाई थी उसी तरह की रणनीति अपनाकर चुनाव में उतरने का प्लान बनाया है. पार्टी ने यूपी की 250 से ज्यादा सीटों पर दो से तीन दावेदारों को तैयारी के लिए भेज दिया है. यह सभी दावेदार जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. जिन 150 के करीब सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी लगभग तय हैं उन सीटों पर दो या तीन दावेदारों को नहीं भेजा गया है.

250 सीटों पर प्रत्याशियों की खोज
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का कैडर धीरे-धीरे खत्म हो चुका है.ऐसे में कांग्रेस को विधानसभा सीटों पर अच्छे उम्मीदवार भी मिलना मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को उम्दा जिताऊ उम्मीदवार भी न मिल पा रहे हैं. इसी मौके का फायदा उठाने वाले विभिन्न दलों के नेता कांग्रेस पार्टी से टिकट पाने की उम्मीद लेकर जॉइनिंग भी करने लगे हैं. कांग्रेस को भी प्रदेश की 403 सीटों पर प्रत्याशी उतारना है इसके लिए विभिन्न दलों से आए नेताओं को पार्टी में शामिल करने की मजबूर भी है.


पूर्व सांसद, विधायकों को किया याद
राजनीतिक विशेषज्ञों के मानें तो कांग्रेस पार्टी में अच्छे नेताओं की कमी हो गई है. अच्छे नेता दूसरी पार्टियों की तरफ रुख कर चुके हैं. ऐसे में प्रभारी प्रियंका गांधी को अपने पुराने अनुभवी नेताओं की याद आई है. अपने तीन दिन के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के दौरे पर आईं प्रियंका ने पूर्व विधायकों और सांसदों से भी आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है, जिससे पार्टी सभी सीटों पर कम से कम अपने प्रत्याशी तो उतार सकें.

लखनऊ की विधानसभा सीटों पर दावेदारी पेश करने में जुटे नेता
लखनऊ संसदीय क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं. लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ मध्य, कैंट, सरोजिनी नगर, बख्शी का तालाब, मोहनलालगंज और मलिहाबाद. इन सभी सीटों पर कांग्रेस पार्टी के दो से तीन दावेदार दमखम दिखाते हुए अपनी दावेदारी पेश करने में जुट गए हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी से जो भी दावेदार विधानसभा में टिकट पाना चाहते हैं उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ेगी. पार्टी ने इसके लिए उन्हें तीन माह का समय दिया है. तीन महीने पूरे हो जाने के बाद पार्टी टिकट पाने की उम्मीद लगाए बैठे उम्मीदवार का टेस्ट लेगी. इसमें सफल होने के बाद ही टिकट देने पर विचार किया जाएगा.

कांग्रेस पार्टी के हैं सिर्फ सात विधायक
बता दें कि वर्तमान में यूपी में कांग्रेस पार्टी के सिर्फ 7 ही विधायक हैं. इनमें से भी दो विधायकों ने बगावती रुख अपना रखा है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी भी यूपी में अपने पांच विधायक ही मान रही है. रायबरेली की सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह और रायबरेली से ही राकेश प्रताप सिंह लगातार कांग्रेस पार्टी के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं.

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कांग्रेस की रणनीति हो सकती है अच्छी
राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल का कहना है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले व्यक्ति के लिए चुनाव लड़ना एक लक्ष्य होता है. राजनीतिक कार्यकर्ता चाहे जितना छोटा बड़ा क्यों न हो, चाहे जिस पार्टी के साथ जुड़ा हो, वह चुनाव जरूर लड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जब चुनाव के टिकट की घोषणा होती है तो बड़ा असंतोष होता है. पार्टियां अगर पहले से ही इस बात के लिए तैयार हो जाएं कि किसी एक क्षेत्र में एक व्यक्ति का नाम घोषित करें और उसके बाद झगड़ा हो तो इससे अच्छा है कि 3-4 लोगों को शॉर्टलिस्ट करके तैयारी करने को कहें. बाद में उनकी तैयारी के आधार पर उनका एसेसमेंट किया जा सकता है और उनमें जो सर्वश्रेष्ठ हो उसे टिकट दिया जा सकता है. क्योंकि चुनाव लड़ने की संभावना तो पांच साल में एक बार ही होता है.

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि कांग्रेस अगर इस रणनीति पर आगे बढ़ा रही है तो यह समझदारी का काम है. हर दल एक प्रत्याशी घोषित करने के बजाय तीन-चार लोगों को तैयार करें और उनमें जो बेस्ट हो उसे चुनाव लड़ने के लिए आगे करें. अगर कांग्रेस ने यह समझदारी का काम किया है तो हो सकता है कि टिकट वितरण के समय कम से कम उसे बहुत ज्यादा असंतोष का सामना न करना पड़े.

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