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लखनऊ का पहला संस्थान जिसमें दो ब्लड बैंकों का होगा संचालन, मरीजों को होगी सुविधा

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Published : Sep 27, 2022, 10:22 PM IST

लखनऊ के लोहिया अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए एक नया ब्लड बैंक खोला गया है. लोहिया लखनऊ का पहला संस्थान बन गया है जिसमें दो ब्लड बैंक हैं.v

लखनऊ का लोहिया अस्पताल
लखनऊ का लोहिया अस्पताल

लखनऊ:प्रदेश भर से लाखों मरीज जो इलाज के लिए लोहिया अस्पताल आते हैं, अब उन्हें खून के लिए इधर से उधर दूसरे संस्थानों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. लोहिया संस्थान के शहीद पथ स्थित मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल में मरीजों को खून व उसके कंपोनेंट के लिए भी भटकना नहीं पड़ेगा. मरीजों को रेफरल हॉस्पिटल में ही खून व उसके नौ अव्यय मिल सकेंगे. लोहिया लखनऊ का पहला संस्थान है जिसमें दो ब्लड बैंक संचालित होंगे.

मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल(Maternal Child and Referral Hospital) में 200 बेड हैं. यहां पांच विभागों का संचालन हो रहा है. अभी तक यहां सिर्फ एक ब्लड स्टोरेज यूनिट का संचालन हो रहा है. लोहिया के मुख्य परिसर से खून लाकर स्टोरेज में रखा जाता था. जरूरत के अनुसार मरीजों को दिया जाता था. मरीजों को और बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए मातृ शिशु रेफरल हॉस्पिटल में नया ब्लड बैंक(New blood bank in Maternal Child Referral Hospital) खोला गया है. मंगलवार को उप्र के ड्रग लाइसेंस एंड कंट्रोलिंग अर्थारिटी की तरफ से लाइसेंस जारी कर दिया गया है.


डॉ. सुब्रत चन्द्रा ने बताया कि ब्लड बैंक संचालन के लिए सभी जरूरी संसाधन पूरे हैं. 27 सितंबर 2022 से 26 सितंबर 2027 तक के लिए लाइसेंस दिया गया है. उन्होंने बताया कि इसमें रक्त के नौ अव्यय मरीज को जरूरत के अनुसार दिए जाएंगे. इसमें पैक्टड रेड ब्लड सेल (पीआरबीसी), प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, क्रायोप्रेसिपिटेट, प्लेटलेट्स एफेरेसिस (एसडीपी), प्लाज्मा एफेरेसिस और इरेथ्रोसाइट एफेरेसिस शामिल है. उन्होंने बताया कि निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद लगातार दूसरे ब्लड बैंक को लेकर कोशिश कर रही थीं.

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दूसरे ब्लड बैंक से संस्थान में आने वाले मरीजों के लिए बड़ी सुविधा होगी. मरीजों को रक्त आसानी से मिल सकेगा. सेप्टिक सीमिया पीड़ित मरीजों को जरुरत के मुताबिक रक्त व उसके अव्यय दिए जाएंगे. मरीज की जान बचाने के लिए तीमारदारों को जरूरत के समय आसानी से ब्लड मिल सके इसके लिए यह फैसला लिया गया है ताकि तीमारदारों को खून के लिए एक संस्थान से दूसरे संस्थान तक भटकना न पड़े.

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