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ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में खुली रेलवे के दावों की पोल, ट्रेन की पटरियां खोखली कर रहे चूहे, प्लेटफार्म पर भी आतंक

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 10:44 PM IST

रेलवे हर साल चूहों को पकड़ने के लिए भारी भरकम धनराशि खर्च करता है. हालांकि इसका ब्यौरा आम आदमी के सामने नहीं आता है. यही कारण है कि इस मुद्दे पर कहीं कोई चर्चा भी नहीं होती है. ईटीवी भारत के रियलिटी चेक चारबाग स्टेशन पर किया तो रेलवे के तमाम दावों की पोल खुल गई. देखिए रिपोर्ट.

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ट्रेन की पटरियां खोखली कर रहे चूहे, प्लेटफार्म पर भी आतंक. देखें खबर

लखनऊ : उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल ने 168 चूहों को पकड़ने में तीन साल में 69 लाख खर्च कर दिए. इस तरह की जानकारी आईटीआई से सामने आई तो रेलवे महकमे में हड़कंप मच गया. अब इस मामले पर रेलवे ने सफाई देते हुए कहा है कि यह पूरी तरह गलत है. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रूपये की लागत आई है, जबकि रेलवे की सफाई है कि ट्रेन के एक कोच में मूषक नियंत्रण और अन्य कीटनाशक दवाई छिड़कने के बाद भी 94 रुपये का औसत खर्च है. हालांकि चूहों पर भले ही रेलवे की तरफ से इस तरह की सफाई दी जाए, लेकिन "ईटीवी भारत" ने जब लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर चूहों के आतंक का रियलिटी चेक किया तो सामने आया कि जिस काॅर्पोरेशन को चूहे पकड़ने का ठेका दिया गया है वह पूरी तरह से लापरवाही बरत रहा है. स्टेशन की पटरियों से लेकर प्लेटफार्म तक चूहों की भरमार है.

चूहा पकड़ने के लिए रेलवे में भ्रष्टाचार.
चूहा पकड़ने के लिए रेलवे में भ्रष्टाचार.
लखनऊ में चूहा पकड़ने के लिए सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को ठेका दिया गया है. उत्तर रेलवे प्रशासन और चूहों को पकड़ने का जिम्मा लेने वाली फर्म का दावा है कि अब स्टेशनों पर चूहे नजर नहीं आते, क्योंकि इनको पकड़ने का काम किया जा रहा है. पहले स्टेशनों की पटरियों से लेकर प्लेटफार्म तक बड़ी संख्या में चूहे नजर आते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. रेलवे प्रशासन के इस दावे और कारपोरेशन के काम की हकीकत परखने के लिए "ईटीवी भारत" चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचा. यहां रेलवे के अधिकारियों के साथ ही कॉरपोरेशन के दावों की कलई खुल गई.
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा.







उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि लखनऊ मंडल में कीट एवं मूषक नियंत्रण का काम मेसर्स सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के पास है. यह भारत सरकार का उपक्रम है. कार्य में कीट और मूषक नियंत्रण के उद्देश्य से कई गतिविधियां शामिल हैं. जिनमें कॉकरोच संक्रमण को रोकने के लिए फ्लशिंग एजेंट का छिड़काव, स्टेबलिंग और रखरखाव लाइनों को कीटाणुरहित करके ट्रेन के डिब्बों में चूहों के प्रवेश को रोकना, फॉगिंग गतिविधियां शामिल हैं. लखनऊ डिवीजन में बनाए गए सभी कोचों में तिलचट्टे, चूहे, बिस्तर कीड़े, मच्छरों के व्यापक नियंत्रण में प्रति वर्ष औसतन 25 हजार कोच मूषक नियंत्रण पर ध्यान देने के लिए है. एक कोच में चूहा नियंत्रण के लिए सिर्फ 94 खर्च होते हैं. चूहे के कारण होने वाली क्षति को देखते हुए यह बहुत न्यूनतम लागत है.

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