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फिजिक्स के शिक्षक की भर्ती के लिए अचानक उठे सवाल, वरिष्ठ प्रोफेसर के आरोपों से कटघरे में विवि

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Published : Nov 12, 2021, 8:15 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है. विवाद फिजिक्स डिपार्टमेंट में होने जा रही भर्ती प्रक्रिया को लेकर है.

लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है. सवाल न केवल भर्ती प्रक्रिया बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा पर भी उठाए गए हैं.

अंगुली उठाने वाले भी कोई और नहीं बल्कि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं. मामला भौतिक विज्ञान विभाग का है. बकायदा कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय को पत्र भेजकर भर्ती के लिए की जा रही जल्दबाजी पर आपत्ति उठाई गई है. पत्र सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. सवाल यह भी है कि फिजिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष का कार्यकाल 19 नवंबर को पूरा होने जा रहा है. ऐसे में क्या जल्दबाजी है कि 16 नवंबर को आनन-फानन तिथि घोषित कर इंटरव्यू कराए जा रहे हैं.

गौरतलब है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. करीब 199 पदों पर भर्ती होनी है. इस बार सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था की गई है. पहली बार डीन रिक्रूटमेंट का पद बनाकर यह भर्ती कराई जा रही हैं. ताजा विवाद फिजिक्स डिपार्टमेंट में होने जा रही भर्ती प्रक्रिया को लेकर है.

10 नवंबर को डीन रिक्रूटमेंट मनुका खन्ना के कार्यालय से भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को ई-मेल भेजा गया जिसमें 16 नवंबर को साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने को कहा गया है. आपत्ति यहीं से शुरू होती है. फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रो. एन.के पांडेय ने कुलपति को एक पत्र भेजा है. इसके मुताबिक अभ्यर्थी को सूचना भेजने की तिथि से कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना जरूरी है. तभी काउंसलिंग कराई जा सकती है. नोटिस व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक से भेजा जा सकता है.

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लखनऊ विश्वविद्यालय की फिजिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. पूनम टंडन का कार्यकाल 19 नवंबर को पूरा हो रहा है. उसके करीब तीन दिन पहले यानी 16 नवंबर को आनन-फानन सेलेक्शन कमेटी की बैठक कराकर काउंसलिंग कराई जा रही है. ऐसे में भर्ती प्रक्रिया की मंशा पर सवाल उठए जा रहे हैं. उधर, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया की जांच की जाएगी. उसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

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विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि 15 अक्तूबर 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक शासनादेश जारी किया जिसके अंतर्गत यूजीसी रेगुलेशन 2018 को विश्वविद्यालयों पर लागू कर रहे हैं. यूपी यूनिवर्सिटी एक्ट के अंतर्गत इसे लागू किया गया.

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