उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

विधानसभा का खराब प्रदर्शन नहीं सुधार पाई कांग्रेस, नगर निकाय चुनाव में बीते साल से बुरे हो गए हालात

By

Published : May 14, 2023, 12:02 PM IST

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के परिणामों से एक तरफ जहां बीजेपी को बढ़ा फायदा मिला. वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन 2017 के निकाय चुनाव से भी ज्यादा निराशाजनक रहा.

performance of Congress in UP civic polls
performance of Congress in UP civic polls

लखनऊः उत्तर प्रदेश में 2 चरणों में हुए निकाय चुनाव का परिणाम शनिवार को घोषित हो गया. इसमें एक ओर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा सभी 17 नगर निगमों में मेयर पद पर जीतने में कामयाब रही. वहीं, कांग्रेस पार्टी अपना खाता खोलने में विफल रही. निकाय चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव 2022 के बराबर ही रहा. 2017 में हुए निकाय चुनाव की तुलना में 2023 के निकाय चुनाव में कांग्रेस को बढ़त की बजाय उल्टा नुकसान ही उठाना पड़ा. हालांकि, कांग्रेस नेता अपनी पार्टी के जनाधार बढ़ने का दावा कर रहे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक सभी पार्टियों को प्राप्त हुए कुल मतों की जानकारी जारी नहीं की गई है. जानकारी सामने आने के बाद ही कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट होगी.

हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि 2017 के निकाय चुनाव में पार्टी को कुल 10% मत मिले थे. लेकिन, इस बार मत प्रतिशत भी कम होने की संभावना है. ज्ञात हो कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को कुल 2.25% वोट मिला था. वहीं, मेयर पद पर इस साल भी कांग्रेस का लगातार दूसरी बार भी खाता नहीं खुला. वहीं, पार्षदों की संख्या में भी कमी आई है. मिला जुलाकर नगर निकाय एक तरफ से भाजपा के लिए बड़ी जीत के रूप में उभरी. वहीं, कांग्रेस के लिए यह चुनाव भी निराशाजनक रहा. वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी का दावा है कि पार्टी इस बार मजबूती से चुनाव लड़ने में सफल रही है. कई नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही है. जबकि नगर पालिका में भी पार्टी का जनाधार पिछले बार की तुलना में बढ़ा है.

कांग्रेस ने जहां पिछली बार 15 नगर निगम में कुल 110 पार्षद जीतने में कामयाबी हासिल की थी. वहीं, इस बार 17 नगर निगमों में केवल 77 पार्षद ही जीत हासिल कर सके. इसके अलावा नगर पालिका अध्यक्ष पद पर 2017 में जहां कुल 9 प्रत्याशी जीते थे. वहीं, इस बार यह संख्या 4 प्रत्याशी पर ही सिमट कर रह गई. इसके अलावा नगर पालिका सदस्य में जहां 2017 में 158 प्रत्याशी जीते थे. वहीं, इस बार यह आंकड़ा 89 प्रत्याशी तक ही पहुंच पाया. नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर पिछली बार कांग्रेस के 17 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. वहीं, इस बार यह आंकड़ा घटकर 13 रह गया है. जबकि, नगर पंचायत सदस्य में 126 कैंडिडेट जीत कर सामने आए थे. इस बार भी इसमें कमी आई. शनिवार के परिणाम में यह संख्या 77 ही रह गए.

कांग्रेस की मौजूदा स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां 2017 में हुए निकाय चुनाव में लखनऊ नगर निगम में कांग्रेस के 7 पार्षद जीत कर आए थे. वहीं, इस बार यह आंकड़ा घटकर 4 रह गया है. उसमें से भी 3 पार्षद अपनी छवि के कारण लगातार जीतते आ रहे हैं. इसमें मुकेश सिंह चौहान व ममता चौधरी प्रमुख हैं. इसके अलावा नए पार्षद के तौर पर सिर्फ कैलाश पांडे ने कांग्रेस की तरफ से जीत हासिल की.

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी की लगातार गिरती साख और मतदाताओं का रुझान कम होने का सबसे बड़ा कारण पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और लड़ाई है. लखनऊ में ही टिकट बंटवारे को लेकर बड़ा बवाल मचा था. पार्टी की ओर से जारी पार्षदों की सूची को ही लेकर विवाद हो गया था. विवाद बढ़ने के बाद राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर ने लिस्ट को फर्जी बताकर एक जांच कमेटी का गठन कर दिया था. इसके अलावा पार्टी की ओर से सिंबल बांटने के लिए जिन्हें अधिकृत किया गया था. उन लोगों ने अपने चहेतों को संबल दे दिया और विवाद बढ़ने पर सिंबल ना होने की बात कहकर किसी को सिंबल नहीं दिया.

ये भी पढ़ेंःवाराणसी के नए महापौर बने अशोक तिवारी, क्या पहले के बीजेपी मेयर की तरह होगा हश्र, रहा है ये इतिहास

ABOUT THE AUTHOR

...view details