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कोविड के नए वैरिएंट जेएन-1 से घबराने की जरूरत नहीं, विशेषज्ञों ने कहा-फिर वही तरीके अपनाएं

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 21, 2023, 11:09 AM IST

यूपी में कोरोना के नए वैरिएंट जेएन-1 (Coronas New Variant JN-1) को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. हालांकि विशेषज्ञ इसे बहुत ज्यादा घातक नहीं मान रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार नए कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि पुराना तरीका अपनाने की जरूरत है.

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लखनऊ : देश में एक बार फिर से कोविड का नया वैरिएंट जेएन-1 काफी सक्रिय हो रहा है. नए वेरिएंट को लेकर उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी है. विशेषज्ञों की मानें तो अब लोगों के शरीर में एंटीबॉडी क्रिएट हो चुकी है. इस नए वेरिएंट से सामने डरना नहीं है, बल्कि फिर से एक बार वही तरीका अपनाना है जो हमने आज से एक साल पहले अपनाया था.

कोरोना का नया वैरियंट.


किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि केरल में इस समय कोविड के नए वैरिएंट वायरस जेएन-1 के चलते यूपी में अलर्ट जारी किया गया है. सरकार का यह बिल्कुल सही दृष्टिकोण है कि उन्होंने तुरंत उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया है, क्योंकि वर्तमान में सभी लोग कोविड महामारी के बारे में मानों भूल चुके हैं. कोविड के दौरान न जाने कितने लोगों ने अपनों को खोया है. उन्होंने कहा कि यह वायरस फिलहाल यूपी में नहीं है, लेकिन जिस तरह से केरल में कैसे बढ़ रहे हैं. उसके बाद लोगों के जहां में एक बार फिर से डर बैठ गया है.

कोरोना के नए वैरियंट से घबराए नहीं.


इम्यून सिस्टम को दे सकता है चकमा :कोविड का नया वेरिएंट जेएन-1 स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन करता है और इम्यून सिस्टम को चकमा देने में भी सक्षम है. इसके लक्षण पिछले वैरिएंट्स की तरह से ही हैं. इनमें बुखार, बहती नाक, गले में खराश, सिर दर्द और पेट दर्द और दस्त जैसे हल्के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षण शामिल हैं. नए वैरिएंट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्याएं अधिक हो सकती हैं. हालांकि इसके लिए अधिक स्टडी की जरूरत है. इसकी संक्रामकता के बारे में चिंता के बावजूद रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने संकेत दिया है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिससे पता चले कि अन्य वैरिएंट्स की तुलना में जेएन.1 ज्यादा घातक है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि भले ही यह वैरिएंट हमारे इम्यून सिस्टम को चकमा देने में बेहतर हो, लेकिन इसके चलते अधिक गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में इजाफा होने के आसार बेहद कम हैं.



हर लहर के बाद मजबूत हुआ सुरक्षा कवच : डॉ. शीतल वर्मा के अनुसार वर्ष 2020 में कोरोना की पहली लहर मार्च से नवंबर तक थी. उसके बाद आईसीएमआर और डब्ल्यूएचओ ने समुदाय में कोरोना एंटीबॉडी की जांच करने की पहल की थी. पहली लहर के बाद सभी जगह पर 2000 लोगों का चयन किया गया. पहली लहर में 73.9% लोगों में एंटीबॉडी मिली थी. दूसरी लहर मार्च 2021 से लेकर जून 2021 तक कोरोना की दूसरी लहर सामने आई. इसमें डेल्टा वेरिएंट का प्रकोप रहा. कोरोना का यह सबसे खतरनाक दौर रहा. इस लहर के खत्म होने के बाद एक बार फिर उन्हीं लोगों में कोविड एंटीबॉडी की जांच की गई. इस बार 90.5 फ़ीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली. तीसरी लहर कोविड टीकाकरण ने एंटीबॉडी में और इजाफा किया. वर्ष 2021 के अंत तक कोरोना की तीसरी लहर ओमिक्रान वेरिएंट के कारण आई. यह लहर घातक नहीं रही. इस दौरान कोविड के टीके भी लगे. जिससे एंटीबॉडी का स्तर लोगों में बढ़ गया. तीसरी लहर के बाद 92.9 फीसदी में कोविड कि एंटीबॉडी मिली है.

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