लखनऊ : पहले बिल्डर ने लूटा फिर नियति ने कहर ढहाया और अब सिस्टम से आश्वासन मिल रहा है. ये उन एक दर्जन परिवारों की पीड़ा है, जो अलाया अपार्टमेंट के ढहने के बाद अपना सब कुछ खो चुके हैं. बची हुई आशा लेकर ये सभी परिवार मंगलवार को जांच समिति के सामने पहुंचे थे, लेकिन अधिकारियों ने आश्वासन ही दिया, जिसके बाद इस आश्वासन और आंखों में आंसू लेकर सभी परिवार कमिश्नर कार्यालय से निकल गए.
रंजना की तरह आफरीन हैदर भी जांच समिति के सामने पहुंची थीं. उन्होंने अधिकारियों को बताया कि 'उनका परिवार बिखर चुका है. किसी के पास भी रहने को छत नहीं है. उनके सभी जेवर, पैसे और गृहस्थी मलबा साफ करने वाले उठा ले गए हैं. उनके बैग तो मिल रहे हैं, लेकिन सब खाली हैं.' आफरीन ने कहा कि 'जब उन्होंने जांच समिति से कहा कि उनके पास रहने को घर नहीं है तो अधिकारी ने कहा कि अपने रिश्तेदार के यहां जाइए.'
रंजना और आफरीन की तरह अलाया अपार्टमेंट के सभी आवंटियों को कमिश्नर कार्यालय बुलाया गया था. घटना के लिए जिम्मेदारों पर करवाई और पीड़ितों को मदद देने के लिए इनके बयान लिए जाने थे. जांच समिति में कमिश्नर रोशन जैकब, ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पीयूष मोर्डिया और एलडीए के चीफ इंजीनियर थे. तीनों अधिकारियों ने आवंटियों से एक-एक करके सवाल किए, लेकिन जब आवंटियों ने पूछा की सरकार हमें क्या मदद दे रही, तो अधिकारी चुप्पी साध गए.
आवंटी हनी हैदर ने बताया कि 'उनके किचन से लेकर बेडरूम तक का लाखों का सामान मलबे में दब गया. घर में जो थोड़े बहुत गहने और कैश था उसे कर्मचारी ले गए. अब उनके पास न तो रहने को घर रह गया न ही रुपया. बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड सब चला गया. इस पर कमिश्नर ने आश्वासन दिया कि हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. चोरी करने वालों को चिन्हित करके कार्रवाई की जाएगी.
बैठक में पीड़ित परिजनों ने अपने आशियाने और संपत्ति को लेकर मांग उठाई. पीड़ित परिजनों का कहना है कि इस बैठक में निराशा मिली है, सिर्फ आश्वाशन दिया गया है. न रहने के लिए घर है और न कोई सामान बचा है, आखिर जाएं कहां?'