उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

आजमगढ़ में हार कर भी खुश हैं मायावती, सोशल इंजीनियरिंग का नया फार्मूला मिला

By

Published : Jun 27, 2022, 3:13 PM IST

Updated : Jun 27, 2022, 7:38 PM IST

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो हारकर भी खुश हैं. आखिर इसकी क्या वजह है चलिए जानते हैं.

Etv bharat
आजमगढ़ में हार के भी खुश हैं मायावती, सोशल इंजीनियरिंग का नया फार्मूला मिला

हैदराबादःआजमगढ़ के इस उपचुनाव में भाजपा ने सपा का किला ध्वस्त कर दिया. सपा की हार की पटकथा लिखने के पीछे काफी हद तक बसपा का भी हाथ बताया जा रहा है. दरअसल, बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार गुड्डू जमाली इस बार काफी वोट बटोरने में सफल रहे इस वजह से भाजपा की जीत का रास्ता आसान हो गया. गुड्डू जमाली को मिले वोटों से मायावती बेहद खुश हैं. उन्होंने बकायदा ट्वीट जारी कर इस खुशी का इजहार किया है. सियासी पंडितों का कहना है कि मायावती को सोशल इंजीनियरिंग का नया फार्मूला मिल गया है. यह फार्मूला है दलित और मुस्लिम गठजोड़ का. सतीश चंद्र मिश्रा को जिस तरह से मायावती ने किनारे लगाया है उस लिहाज से लग रहा है कि अब वह दलित और ब्राह्मण गठजोड़ के साथ काम नहीं करेंगी.

वर्ष 2019 में जब अखिलेश यादव इस सीट से लड़े थे तब अखिलेश यादव को 6,21,578 और निरहुआ को 3,61,704 वोट मिले थे. अखिलेश को कुल पड़े वोट का 60 फीसदी और निरहुआ को 35 फीसदी वोट मिले थे. उस चुनाव में बसपा की हालत काफी पतली थी. इस बार के उपचुनाव में में भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की है. उन्हें 2,94,377 वोट (34.42%) वोट मिले हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर रहे सपा के धर्मेंद्र यादव को 2,83,164 (33.11%) वोट मिले है. तीसरे स्थान पर रहे बसपा के गुड्डू जमाली को 2,52,725 (29.55%) वोट मिले हैं. भाजपा की जीत का अंतर बेहद कम रहा है.

वहीं, बात अगर बसपा के गुड्डू जमाली को मिले वोटों की कि जाए तो यह बसपा की उम्मीद से कहीं ज्यादा है. गुड्डू जमाली को इस बार 2,52,725 वोट मिले हैं. यह कुल मतदान का 29.55% है. वहीं, सपा के धर्मेंद्र यादव को 2,83,164 वोट मिले हैं, जो कुल मतदान का 33.11% है यानी महज तीन से चार फीसदी के बीच सपा और बसपा के बीच वोटों का अंतर रह गया. बस इसी आंकड़े ने मायावती को खुश कर दिया है. सपा की साइकिल पंचर करने में बसपा ने अहम योगदान दिया है. मायावती को यहां के मुस्लिमों ने काफी समर्थन किया है.

क्या सपा से नाराज हो गए हैं मुस्लिम
आजमगढ़ सीट पर यादवों की आबादी करीब 26 फीसदी है, वहीं, मुस्लिम मतदाता करीब 24 फीसदी हैं. इन दोनों को मिला दिया जाए तो 50 फीसदी मतदाता एक तरफ हो जाते हैं और समाजवादी पार्टी की जीत का आधार भी यही बनते हैं. इस बार गुड्डू जमाली ने जिस तरह से मुस्लिम वोट बटोरे हैं उससे तो लगता है मुस्लिम सपा से नाराज हो गए हैं. कहा जा रहा है कि मुस्लिमों की नाराजगी की वजह कहीं आजम खान को लेकर सपा की अनदेखी तो नहीं है या फिर मुस्लिमों के कई मुद्दों पर सपा का चुप्पी साधे रखना. इस बार सपा का मुस्लिम यादव फैक्टर बुरी तरह से फेल हो गया.

अब मुस्लिम वोट बैंक साधने में जुटीं मायावती
आजमगढ़ में मिली सफलता के बाद मायावती ने मुस्लिमों को लेकर बकायदा एक ट्वीट जारी किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि मुस्लिम चुनाव में गुमराह होने से बच गए हैं. इस ट्वीट के जरिए मायावती मुस्लिम वोट बैंक को और मजबूत करते हुए नजर आ रहीं हैं. अब वह दलित ब्राह्मण के बजाय दलित मुस्लिम फार्मूले पर काम करने लगी है. बीते कई दिनों से मायावती मुस्लिमों के समर्थन में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहीं है. सियासी जानकारों को लग रहा है कि मायावती सपा से छिटके इस मुस्लिम वोट बैंक को बिखरने नहीं देना चाहती हैं, शायद यही वजह है कि इस बार उन्होंने अपने सियासी सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में बदलाव करते हुए ब्राह्मणों के बजाय मुस्लिमों को तरजीह देना ज्यादा बेहतर समझा है. अब उनका यह फार्मूला बसपा के हाथी को कितना मजबूत करेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Jun 27, 2022, 7:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details