लखनऊ :बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की तैयारी में हैं. पिछले दिनों 25000 करोड़ से ज्यादा के 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर भी जारी कर दिया गया. इंटेली स्मार्ट कंपनी को 67 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर पश्चिमांचल में लगाने को हरी झंडी दी गई है. इस मामले में गुरुवार को उस समय नया मोड़ आ गया जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में एक लोक महत्व की याचिका दाखिल कर दी.
उपभोक्ता परिषद की याचिका में नियामक आयोग के समक्ष ये मुद्दा उठाया गया है कि प्रदेश की बिजली कंपनियां प्रीपेड मोड में उपभोक्ताओं के घर में मीटर लगाने की दिशा में आगे बढ़ रहीं हैं लेकिन शायद उन्हें पता नहीं है कि इसके लिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 व 47(5 ) के प्रावधानों का लाभ भी विद्युत उपभोक्ताओं को देना होगा. धारा 56 में यह व्यवस्था है कि किसी भी विद्युत उपभोक्ता के बिल बकाया पर विद्युत लाइन काटने के पहले उसे 15 दिन का लिखित नोटिस देना होगा. प्रीपेड स्मार्ट मीटर में यह व्यवस्था कैसे लागू हो पाएगी?, दूसरा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में यह प्रावधान है कि उपभोक्ता प्रीपेड मीटर का ऑप्शन ले सकता है, यानी कि उसके पास दोनों विकल्प खुले हैं. ऐसे में बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से विकल्प लिए बिना सभी के घर में कैसे स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा सकती हैं?, ये एक बड़ा विधिक मामला है. बिजली कंपनियां भारत सरकार के रूल के तहत कार्रवाई कर रहीं हैं जबकि विद्युत अधिनियम 2003 में दी गई व्यवस्था ही सर्वमान्य है. रूल अधिनियम के अनकूल नहीं है. ऐसे में विद्युत नियामक आयोग स्मार्ट कंपनी के मामले में हस्तक्षेप करे. विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने उपभोक्ता परिषद की तरफ से उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लिया. कहा कि आयोग इस पर उचित कार्रवाई करेगा.