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नगर अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी, यह है बड़ी वजह

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Published : Jun 24, 2021, 9:15 AM IST

राजधानी के रिवर बैंक कॉलोनी में पुरानी और जर्जर हो चुकी बिल्डिंग के ढहने से एक युवक की मौत हो गई, जबकि उसके चाचा गंभीर रूप से घायल हो गए. अब इस मामले में नगर आयुक्त ने नगर अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही उन्होंने जर्जर इमारत को ध्वस्त करने के निर्देश भी दिए हैं.

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नगर अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी.

लखनऊ:राजधानी के रिवर बैंक कॉलोनी की पुरानी जर्जर बिल्डिंग बुधवार सुबह भरभरा कर गिर गई. इससे 21 वर्षीय युवक गौरव त्रिवेदी की मौके पर ही मौत हो गई. यह बिल्डिंग लगभग 60 वर्ष पुरानी बताई जा रही है. इसकी कई बार शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की गई पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. बुधवार सुबह नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा गौरव को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. लखनऊ के नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने जर्जर भवन में निवास कर रहे लोगों को नोटिस देने के साथ ही इमारत को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था पर नगर अभियंता जोन 1 एसपी तिवारी ने इस मामले में लापरवाही बरती, जिसके कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस देते हुए जोन एक से हटा दिया गया. वहीं मुख्य अभियंता महेश चंद्र वर्मा को फटकार लगाते हुए कड़ी चेतावनी दी गई.

जर्जर बिल्डिंग.
देर रात नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले जर्जर भवनों को सुरक्षित किए जाने के उद्देश्य से पूर्व में ही जर्जर भवनों में निवास कर रहे लोगों को नोटिस दिए जाने के उपरांत ऐसे भवनों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. पर मामले में लापरवाही बरती गई, जिसके कारण बुधवार को एक युवक की मौत हो गई.


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45 रुपये प्रतिमाह किराए पर भवन आवंटित

नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि इस बिल्डिंग का निर्माण 1962 में हुआ था. जिस फ्लैट में यह हादसा हुआ, वह रामप्यारे त्रिवेदी के नाम 45 रुपये प्रति माह पर आवंटित था. रामप्यारे के निधन के बाद उनके पुत्र ज्ञानी त्रिवेदी इस फ्लैट में रहते थे. बुधवार को इस हादसे में ज्ञानी त्रिवेदी के भतीजे की मौत के बाद एक सुरक्षित भवन आवंटित कर दिया गया. इसके साथ ही इससे सटे हुए भवन को खाली कराते हुए उस भवन में निवास कर रहे डीएन श्रीवास्तव को भी भोपाल हाउस में शिफ्ट कर दिया गया है. नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि लखनऊ नगर निगम द्वारा जब तक मरम्मत का कार्य पूरा नहीं करा दिया जाता, तब तक के लिए आवंटित भवन को खाली कराया जा रहा है.

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बताते चलें कि लखनऊ में बड़ी संख्या में ऐसी जर्जर इमारतें हैं, जो कभी भी गिर सकती हैं. इन इमारतों में रहने वाले लोग भी डरे हुए हैं. इसके साथ ही इन जर्जर इमारतों के आसपास रहने वाले लोग भी डर रहे हैं. नगर निगम गहरी नींद से तभी जागता है, जब घटनाएं हो जाती हैं. नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा लोगों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है.

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