लखनऊ:अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस भले ही महिलाओं के प्रति हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का दिन हो, लेकिन जमीनी हकीकत को देखा जाए तो यह दिन कुछ कम नजर आता है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं कि महिलाओं की हिंसा को रोकने के लिए किसी एक दिन का होना ही सब कुछ नहीं होता, बल्कि इसके लिए हर रोज कदम उठाने की जरूरत है.
पीढ़ियों से होती आ रही है महिला हिंसा, बदलने के लिए एक दिन काफी नहीं: रेखा शर्मा
आज यानी 25 नवंबर अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस है. महिलाओं के प्रति की जाने वाली हिंसा को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्व भर में मनाया जाता है. इस दिन लोगों को महिला हिंसा उन्मूलन के लिए जागरूक भी किया जाता है.
महिलाओं के साथ हिंसा केवल आज की बात नहीं है, बल्कि यह पीढ़ियों से चली आ रही है. इसे रोकने के लिए भी आगे कई पीढ़ियों तक हमें काम करना होगा. महिला हिंसा रोकने के लिए किसी एक दिन का होना ही काफी नहीं है.
एक घर में एक आदमी अपनी पत्नी को या घर की महिलाओं को पीटता है तो उनके साथ हिंसा करता है. वहां रहने वाले दूसरे बच्चे भी यही सीखेंगे और आगे की पीढ़ी में यह आदत भी स्वत: ही चली जाएगी, इसलिए इस बात की बेहद जरूरत है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को भी सही बातें सिखाएं.
रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग
Body:वीओ1
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा कहती हैं कि महिलाओं के साथ हिंसा केवल आज की बात नहीं है बल्कि यह पीढ़ियों से चला रहा है और इसको रोकने के लिए किसी एक दिन का होना ही काफी नहीं हो सकता। महिलाओं के साथ हिंसा कई पीढ़ियों से चलती आ रही है और इसे रोकने के लिए भी आगे कई पीढ़ियों तक हमें काम करना होगा।
उदाहरण देते हुए रेखा कहती हैं कि अभी एक घर में एक आदमी अपनी पत्नी को या घर की महिलाओं को पीटता है या उनके साथ हिंसा करता है वहां रहने वाले दूसरे बच्चे भी यही सीखेंगे और आगे की पीढ़ी में यह आदत भी स्वता ही चली जाएगी इसलिए इस बात की बेहद जरूरत है कि हम अपनी आदतों के द्वारा ही हमारे आने वाली पीढ़ी को भी सही बातें सिखाएं।
Conclusion:
बाइट- रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग
रामांशी मिश्रा