लखनऊ :प्रदेश में मंगलवार से पांच वर्ष से कम उम्र के कुपोषित या कम वजन वाले बच्चों पर स्वास्थ्य टीम की खास निगाह रहेगी. खासकर इन बच्चों को दस्त से होने वाली समस्याओं के प्रबंधन पर आशा कार्यकर्ता समेत पूरी स्वास्थ्य टीम काम करेंगी. सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा सात जून से शुरू होकर 22 जून तक चलेगा. बाल स्वास्थ्य के महाप्रबंधक डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि पांच वर्ष से कम आयु के 5-7 प्रतिशत बच्चों में मृत्यु का कारण दस्त है. प्रदेश में हर वर्ष लगभग 16 हजार बच्चों की मृत्यु दस्त के कारण होती है. सेम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वेक्षण (एसआरएस) के अनुसार प्रदेश की बाल मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है.
बच्चों को दस्त से बचाने के लिए यह करें उयाय. डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि अभियान संबंधी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस के पैकेट्स और जिंक की गोलियां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. पखवाड़ा के बारे में आशा समेत अन्य को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है. इस अभियान का उद्देश्य समुदाय में लोगों को बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओआरएस घोल और जिंक के उपयोग के प्रति जागरूक करना, उपलब्ध कराना एवं इसके उपयोग को बढ़ावा देना है. इसी के तहत आशा बहुएं अपने क्षेत्र में पांच वर्ष तक की आयु के हर बच्चे को ओआरएस का पैकेट देंगी. साथ ही दस्त से पीड़ित बच्चे को ओआरएस के दो पैकेट एवं 14 जिंक की गोलियां देंगी. आशा ओआरएस बनाने की विधि का प्रदर्शन भी करेंगी. इस अभियान के तहत ईंट भट्टे पर काम करने वाले मजूदरों के बच्चों, शहरी मलिन बस्ती, दूरस्थ क्षेत्र, ऐसे क्षेत्र जहां पहले डायरिया का आउटब्रेक हो चुका हो, छोटे गांव या छोटे कस्बे जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव हो, वहां पर बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा
घर में रखें जरूर ओआरएस पैकेट : राज्य स्तरीय बाल स्वास्थ्य प्रशिक्षक डॉ. सलमान बताते हैं कि दस्त के दौरान बच्चे को ओआरएस घोल एवं जिंक की गोली देनी चाहिए. अगर इसके उपयोग के बाद भी दस्त ठीक न हों तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं. दस्त बंद होने के बाद भी दो माह से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार जिंक की गोलियां 14 दिनों तक देनी चाहिए. जिंक के सेवन से अगले दो से तीन माह तक दस्त होने की संभावना नहीं होती है. दो माह से छह माह तक की आयु के बच्चों को जिंक की आधी गोली मां के दूध के साथ और सात माह से पांच साल तक की आयु के बच्चों को एक गोली जरूर दें. इसके साथ ही बच्चे को स्तनपान, ऊपरी आहार और भोजन जारी रखें। छह माह तक की आयु के बच्चे को केवल स्तनपान कराएं.
डॉ. सलमान ने कहा कि ओआरएस पैकेट बांटने का उद्देश्य भी यही है कि इसको घर में सदैव रखें और ज्यादा गर्मी में उपयोग करते रहें. बच्चों को सॉफ्ट ड्रिंक या डिब्बाबंद जूस बिल्कुल भी न दें. बच्चे को खाने के लिए दही दें. यह प्रीबायोटिक होता है और पाचन में मदद करता है. इसके अलावा यदि बच्चा सुस्त है, बच्चे की आंखें अंदर की ओर धंसी हुई हैं, बच्चा कुछ पी नहीं पा रहा या पीने में कठिनाई हो रही है, पेट की त्वचा चुटकी भरने पर बहुत धीमे वापस जाती है या मल में खून या रहा है. इनमें से दो या दो से अधिक लक्षण होने पर देर नहीं करें, तुरंत चिकित्सक को दिखाएं. बच्चों में कुपोषण का मुख्य कारण दस्त है. बार-बार दस्त होने से बच्चा कुपोषित हो सकता है और यदि बच्चा कुपोषित है तो जरा से असावधानी से वह दस्त की चपेट में आ सकता है. बच्चे को रोटा वायरस की वैक्सीन जरूर लगवाएं.
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