उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

Hindi Diwas : देश की अस्मिता और गौरव की प्रतीक है हिंदी भाषा, निरंतरता के लिए तकनीकी विकास जरूरी

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 14, 2023, 10:23 PM IST

हिंदी राष्ट्रभाषा के साथ संपर्क भाषा के तौर पर काफी तेजी से आगे बढ़ रही है. हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उस घटना को याद करना है जब इसे भारत की विभिन्न भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था. इसे महात्मा गांधी ने जनमानस की भाषा भी कहा था.

Etv Bharat
Etv Bharat

हिंदी भाषा की निरंतरता के लिए तकनीकी विकास जरूरी. देखें खबर

लखनऊ : भारतवर्ष अनेक बोली और भाषाओं वाला देश है. यहां हर 20 किलोमीटर पर एक नई भाषा सुनने को मिलती है. इन सभी के बीच में हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा तो प्राप्त है. इसके बाद भी यह भाषा आज भी पूरे देश में अंग्रेजी भाषा जैसा महत्व नहीं पा सकती है. हिंदी भाषा के साहित्यकारों का मानना है कि हिंदी के विकास के लिए इसके तकनीकी विकास का होना बहुत जरूरी है. तभी यह भाषा आम जनमानस में वह स्थान प्राप्त कर सकती है जो अंग्रेजी भाषा को मिला है.

हिंदी भाषा की निरंतरता के लिए तकनीकी विकास जरूरी.

वरिष्ठ साहित्यकार व राज्य भाषा विभाग के पूर्व उप सचिव रहे गोपाल चतुर्वेदी का कहना है कि सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1977 में इमरजेंसी के दौरान हिंदी के विकास के लिए राज्य भाषा विभाग का गठन किया था. तब से लेकर अब तक हिंदी अंग्रेजी के बाद दूसरे सबसे बड़ी संपर्क भाषा के तौर पर उभर कर सामने आई है. इसके बावजूद आज भी सरकारी कार्यालयों व शिक्षण संस्थानों में अंग्रेजी का प्रचलन काफी है.

हिंदी भाषा की निरंतरता के लिए तकनीकी विकास जरूरी.





हिंदी में शब्दों का आविष्कार करना पड़ता है :गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि जब हमने राज्य भाषा विभाग में काम करना शुरू किया तब यह पाया कि अंग्रेजी में अगर कोई व्यक्ति 10 से 12 शब्दों का ज्ञान कर लेता है. तो वह इस भाषा को आसानी से बोल व लिख सकता है. हमने जब हिंदी भाषा के विकास पर काम शुरू किया तब पाया कि अंग्रेजी में "प्लीज डिस्कस" शब्द का हिंदी में क्या अनुवाद होना चाहिए. इसी का आविष्कार करने में 5 से 10 साल लग गए. तब जाकर इसका हिंदी अनुवाद "कृपया चर्चा करें" बना. हिंदी में साहित्यकार तो आपको काफी मिल सकते हैं पर हिंदी के तकनीक व उसके शब्दों के आविष्कार करने वाले लोग काफी कम मिलते है. जिस कारण से हिंदी भाषा को जिस विकसित रूप में लोगों तक पहुंचना चाहिए वह नहीं पहुंच पाया है. आज भी अंग्रेजी सबसे महत्वपूर्ण भाषा बनी हुई है जो भी लोग हिंदी भाषा पर काम कर रहे हैं या इस क्षेत्र में लिख रहे हैं उन्हें हिंदी के शब्दों के आविष्कार करने के साथ ही अंग्रेजी साहित्य का हिंदी अनुवाद कितने बेहतर और सरल शब्दों में किया जाए इस पर ध्यान देना चाहिए. तभी हिंदी आम लोगों तक आसानी से पहुंच सकती है.

यह भी पढ़ें : जौनपुर: परिषदीय स्कूल के कई शिक्षकों को नहीं पता हैं 'हिंदी दिवस' के मायने

हिन्दी दिवस: भाषा अगर मां है तो मौसी हैं बोलियां

ABOUT THE AUTHOR

...view details