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लखनऊ के सरोजिनीनगर थाने में तैनात रहे पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुई FIR, जानें क्या है मामला

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Published : Oct 18, 2022, 9:23 AM IST

राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट में तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ सरोजनीनगर थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है. वर्ष 2021 में पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत न करने पर यह मुकदमा किया गया है.

सरोजिनीनगर थाना
सरोजिनीनगर थाना

लखनऊ: पुलिस कमिश्नरेट में तैनात पुलिसकर्मियों की लापरवाही को लेकर मानवाधिकार आयोग समय-समय पर नोटिस जारी करता है. इसके बावजूद पुलिसकर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में राजधानी के सरोजनीनगर थाने में वर्ष 2021 में पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत न करने वाले तत्समय कार्यरत पुलिसकर्मियों पर सोमवार को देर शाम मानवाधिकार आयोग के आदेश पर वरिष्ठ उपनिरीक्षक चंद्र प्रकाश ने सरोजनीनगर थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया है.

मूल रूप से बरेली जिले के जमुनिया गांव निवासी प्रेम बाबू ने वर्ष 2021 में मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि उनका पुत्र वीरेंद्र कुमार (22) केएलए कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो स्टेशन के पास एक होटल में काम करता था. 20 जनवरी 2021 को रात लगभग 9:30 बजे प्रार्थी का पुत्र अपने फोन पर बात करते हुए कमरे से बाहर निकला. इसी दौरान बाराबंकी के रमवापुर गौरा निवासी विवेक कुमार और हेमंत कुमार ने वीरेंद्र पर जानलेवा हमला कर दिया. इससे वीरेंद्र का सिर बुरी तरह फट गया. विवेक कुमार और हेमंत कुमार दोनों केएलए कंस्ट्रक्शन कंपनी में पाइप लाइन का काम करते थे.

मौके पर पहुंचे लोगों ने किसी तरह बीच-बचाव करके वीरेंद्र को बचाया. इसके बाद ठेकेदार लाइक अहमद और अन्य लोग वीरेंद्र को लेकर हॉस्पिटल गए, जहां डॉक्टर टालमटोल करने लगे. फिर वहां से वीरेंद्र को मेडलाइफ रिसर्च एंड ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया. अगले दिन फोन पर सूचना मिली तो वे हॉस्पिटल पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने कहा कि आपके बेटे की स्थिति ठीक नहीं है. इसे दूसरे हॉस्पिटल ले जाइए. इसके बाद वे अपने बेटे को रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज ले आए, जहां 22 जनवरी 2021 को डॉक्टरों ने मना कर दिया. कहा कि अपने बेटे को अन्यंत्र कहीं दूसरे हॉस्पिटल में ले जाएं. दूसरे हॉस्पिटल में ले जाते समय बेटे की मौत हो गई, जिसका मुकदमा सरोजिनीनगर थाने में 19 जून 2022 को पंजीकृत हुआ. इसमें नियमानुसार कार्यवाही प्रचलित है.

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प्रेम बाबू द्वारा दी गई संगेय अपराध की सूचना पंजीकृत किए जाने के लिए थाने में तत्समय नियुक्त पुलिसकर्मी विधिक रूप से उत्तरदायी थे. लेकिन, उनके द्वारा अभियोग पंजीकृत न करके विधि के आदेश निर्गत निर्देशों की अवहेलना की है. इस पर उनके खिलाफ 166ए आईपीसी का मुकदमा पंजीकृत किया गया है.

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