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Consumer Forum Order : पूरी कीमत चुकाने पर भी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने नहीं दिया फ्लैट, उपभोक्ता आयोग ने लगाया 10 लाख हर्जाना

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 4:35 PM IST

ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी (Greater Noida Industrial Development Authority) ने आवंटी से शर्त के अनुसार पूरी कीमत वसूल ली, लेकिन कब्जा देने के बजाय उससे अतिरिक्त रुपयों की मांग कर दी. इस पर आवंटी ने राज्य उपभोक्ता फोरम में गुहार लगाई. सुनवाई के बाद राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी पर 10 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है.

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लखनऊ : फ्लैट के पूरे पैसे जमा करने के बाद भी ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी (Greater Noida Industrial Development Authority) ने उपभोक्ता से और पैसों को डिमांड की. जिस पर पीड़ित ने राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में ऑथारिटी के खिलाफ वाद दायर किया था. अब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी पर 10 लाख रुपये का हर्जाना ठोंका है




सेक्टर-31 नोएडा की रहने वाली वादनी सोनाली मेथी की शिकायत थी कि ग्रेटर नोएडा अथाॅरिटी ने उनकी प्रार्थना पर 11 फरवरी 2011 को एलाटमेंट कम एलोकेशन लेटर जारी किया था. जिसमें फ्लैट का क्षेत्रफल 120 वर्गमीटर दिखाया गया था. पंजीकरण के समय शिकायतकर्ता सोनाली द्वारा 3 लाख 90 हजार रुपये जमा किए गए. इसके बाद फिर शिकायकर्ता को 34 लाख 07 हजार 460 रुपये 2 प्रतिशत छूट के साथ जमा करने थे, जिस पर उन्होंने फ्लैट की कुल कीमत 37 लाख 97 हजार 500 रुपये ब्याज समेत जमा कर दिए थे. जिसके बाद अथारिटी ने लेटर भी जारी किया. शिकायतकर्ता का आरोप था कि पूरे पैसे जमा करने के बाद भी अथारिटी ने 22 अगस्त 2016 को 9 लाख 66 हजार 750 रुपये और जमा करने के लिए कहा. जिस पर शिकायतकर्ता सोनाली मैथी ने ऑथारिटी की इस डिमांड को गैरकानूनी माना और उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायकर्ता दर्ज करवायी थी.



सोनाली मैथी बनाम ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी के विवाद को निस्तारित करते हुए आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने आदेश किया. जिसमें कहा गया कि विपक्षी ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी शिकायतकर्ता सोनाली मेथी को हुए शारीरिक व मानसिक कष्ट के लिए 10 लाख रुपये और बतौर मुकदमा खर्च 50 हजार रुपये अदा करे. इतना ही नहीं आयोग ने अथारिटी द्वारा शिकायतकर्ता को 22 अगस्त 2016 को भेजे गये 9 लाख 66 हजार 750 रुपये का डिमांड को भी निरस्त कर दिया है.

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