लखनऊः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने लखनऊ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस वार्ता के दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि जनता की कमाई से बनी संपत्तियों की मेगा डिस्काउंट सेल मोदी सरकार ने लगाई है. गुपचुप निर्णय और अचानक घोषणा से सरकार की नीयत पर संदेह बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने विकास के नाम पर दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. एक का नाम है डिमोनेटाइजेशन (Demonetization) और दूसरे का मोनेटाइजेशन (Monetization). दोनों का व्यवहार एक जैसा है. डिमोनेटाइजेशन से देश के गरीबों, छोटे व्यापारियों, कारोबारियों को लूटा गया, जबकि मोनेटाइजेशन से देश की विरासत को लूटा जा रहा है. दोनों ही काम चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किए गए हैं.
मित्र पूंजीपतियों के हाथ बेची जा रहीं देश की विरासतें
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की तमाम संपत्तियां इस दायरे में आ रही हैं. इनका निजीकरण किया जा रहा है. उन्हें बेचा जा रहा है. मित्र पूंजीपतियों के हाथ देश की विरासतें बेची जा रही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की इन विरासतों में लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट वाराणसी, लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग जिनमें झांसी से शिवपुर, आगरा बाईपास, आगरा से भरतपुर, उरई से बारा, केबिल ब्रिज नैनी, फतेहपुर से पोखराज, चकेरी से उसरनिया, इलाहाबाद हंडिया वाया वाराणसी, साईं सपोर्ट सेंटर, भारत नेट फाइबर नेटवर्क और बीएसएनएल, प्रयागराज रेलवे स्टेशन, यात्री गाड़ी आपरेशन, उत्तर प्रदेश के पावर सेक्टर के निजीकरण की योजना शामिल हैं.
एयरपोर्ट अडानी खरीद रहे, टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर अंबानी के हवाले
लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर अजय माकन ने कहा कि सरकार का कहना है कि 500 करोड़ रुपये का सरकार को लाभ होगा. 30 साल के लिए अडानी को ये हवाई अड्डा सौंपा जा रहा है. एयरपोर्ट अडानी खरीद रहे हैं, जबकि टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर अंबानी के हवाले किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 12 मंत्रालयों की 20 परिसंपत्तियों का वर्गीकरण कराते हुए इन्हें निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए चयनित किया है. इनका सांकेतिक मौद्रिक मूल्य सरकार ने छह लाख करोड़ रुपये दर्शाया है. इन परिसंपत्तियों के निर्माण में पिछले 70 साल के दौरान मेहनत, बुद्धि और निवेश लगाया गया है. यह सभी परिसंपत्तियां अमूल्य हैं, लेकिन इन सभी परिसंपत्तियों को कौड़ियों के भाव देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कभी भी रेल लाइन को प्राइवेट करने के बारे में नहीं सोचा, लेकिन यह सरकार रेलवे लाइन भी प्राइवेटाइज कर रही है.