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गाजियाबाद: 500 km साइकिल चलाकर गाजीपुर पहुंचे आदित्य, नाम हैं कई विश्व रिकॉर्ड

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Published : Feb 20, 2021, 1:56 PM IST

दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 3 महीने से किसानों का आंदोलन जारी है. नेता और सामाजिक कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में आगे आ रहे हैं. इसी क्रम में आज साइकिल गुरु आदित्य लखनऊ से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. आदित्य ने बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन सत्य की लड़ाई है.

500 km साइकिल चलाकर गाजीपुर पहुंचे आदित्य.
500 km साइकिल चलाकर गाजीपुर पहुंचे आदित्य.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी पर कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर तकरीबन 3 महीने से किसानों का आंदोलन जारी है. किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए जहां एक तरफ राजनीतिक पार्टियों के नेता और सामाजिक संगठन पहुंच रहे हैं तो उन्हीं की तरफ सामाजिक कार्यकर्ता भी आंदोलन में अपना समर्थन दे रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

500 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके साइकिल गुरु आदित्य किसान आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे हैं. आदित्य ने लखनऊ से गाजीपुर बॉर्डर का करीब 500 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया. आदित्य ने बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन सत्य की लड़ाई है. इस लड़ाई में अगर किसानों की जीत नहीं होगी तो देश मर जाएगा.

आदित्य का कहना है कि जब तक गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन चलेगा, तब तक वह आंदोलन में ही रहेंगे और आस-पास के गरीब बच्चों को शिक्षा देंगे. उन्होंने बताया कि करीब 27 वर्षों से वह गरीब बच्चों को शिक्षित करते आ रहे हैं. बता दें कि बीते 27 सालों में आदित्य देशभर में साइकिल से घूम कर गरीब बच्चों को शिक्षित जर रहे हैं.

ये हैं साइकिल गुरु आदित्य की उपलब्धियां

  • संसद भवन में "हीरो ऑफ द नेशन" अवार्ड से नवाजे जा चुके हैं आदित्य
  • अब तक 8 राज्यपाल और 15 मुख्यमंत्री कर चुके हैं आदित्य को सम्मानित
  • आदित्य ने 57 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं
  • तमिलनाडु आंध्रप्रदेश के पाठ्यक्रम में शामिल हैं साइकिल पर गरीब बच्चों की पाठशाला
  • साइकिल के जरिए 29 राज्यों में जाकर शिक्षा के प्रति कर चुके हैं जागरूक
    नहीं बसाया घर
    फर्रुखाबाद जिले के सलेमपुर गांव में एक किसान परिवार में जन्मे आदित्य कुमार ने आर्थिक तंगी में जिंदगी गुजारी. किताब व फीस के पैसे ना होने के कारण आदित्य ने दोस्तों से किताबें मांग कर जैसे-तैसे विज्ञान स्थातक की पढ़ाई की, लेकिन नौकरी के लिए नहीं. उनके मन में कुछ और ही संकल्प चल रहा था.

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मजदूरों के बच्चों का रिश्ता किताबों से जोड़ने का मुहिम में किसी तरह की रुकावट ना आए, बस इसी के चलते आदित्य ने अपना खुद का घर नहीं बसाया.

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