लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ( Allahabad High Court Lucknow Bench) ने केजीएमयू के प्रोफेसर आशीष वाखलू को बड़ी राहत देते हुए, चौक थाने में उनके खिलाफ धोखाधड़ी व गबन के आरोपों को लेकर दर्ज एफआईआर व विवेचना के उपरांत दाखिल की गई पुलिस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने एफआईआर को दुर्भावना से ग्रसित करार दिया.
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सरोज यादव खंडपीठ ने प्रोफेसर आशीष वाखलू की याचिका पर पारित किया. याचिका में उनके खिलाफ चौक थाने में दर्ज उक्त एफआईआर को खारिज करने की मांग की गई थी. याची की ओर से कहा गया कि वर्ष 2015 में केजीएमयू में हुई 300 लैपटॉप की खरीद के मामले में उन पर वितीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाते हुए, उक्त एफआईआर दर्ज कराई गई.
कहा गया कि वर्ष 2015 में याची आईटी सेल का सदस्य सचिव जरूर था लेकिन लैपटॉप की खरीद सरकारी नोडल एजेंसीज से वीसी व फाइनेंस ऑफिसर की मंजूरी के बाद सरकारी नोडल एजेंसीज से की गई थी. वहीं न्यायालय ने भी पाया कि सेल इनवॉइस केजीएमयू के रजिस्ट्रार के नाम से बनी व भुगतान परीक्षा नियंत्रक प्रो. एके सिंह व सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. गिरीश चंद्रा द्वारा 31 मार्च 2016 को चेक के माध्यम से किया गया. न्यायालय ने सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया.
साथ ही यह भी टिप्पणी की कि हमें उम्मीद है कि केजीएमयू की अथॉरीटीज शैक्षिक मानकों के उन्नयन के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे और संस्थान के कल्याण के लिए नीतिगत निर्णयों का सम्मान करके शैक्षिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक रूप से काम करेंगे. न्यायालय ने कहा कि अनुचित विवादों से बचने के लिए शिक्षा और प्रशासन दोनों में अनुशासन होना चाहिए.
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