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दो बहनों के साथ गैंगरेप के बाद हत्या मामले में 4 दोषियों को सजा, 2 को आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा

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Published : Aug 14, 2023, 6:03 PM IST

लखीमपुर खीरी में 2 सगी बहनो की गैंगरेप के बाद हत्या मामले में कोर्ट ने 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है. जिसमें 2 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा हुई है. जबकि साक्ष्य मिटाने वाले 2 दोषियों को 6-6 साल की सजा सुनाई गई है.

एडीजीसी बृजेश कुमार पांडेय
एडीजीसी बृजेश कुमार पांडेय

एडीजीसी बृजेश कुमार पांडेय ने बताया.

लखीमपुर खीरी: जनपद के निघासन थाना इलाके में बीते साल 2 सगी नाबालिग दलित बहनों के अपहरण गैंगरेप और हत्या के मामले में पॉक्सो अदालत ने सोमवार को 2 दोषियों को आजीवन कारावास और 2 को 6-6 साल की सजा सुनाई गई है. जबकि इस मामले में दो नाबालिग अभियुक्तों पर फैसला आना बाकी है. अदालत ने दोषियों पर अर्थदंड भी लगाया है.

अभियोजन के मुताबिक, 14 सितम्बर 2022 को निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 2 सगी नाबालिग दलित बहनों का अपहरण कर लिया गया था. इसके बाद दोनों बहनों के साथ 4 लोगों ने गैंगरेप के बाद हत्या कर दिया था. हत्या के बाद दोनों किशोरियों के शवों को उनके ही दुपट्टे से पेड़ से लटका दिया गया था. इस मामले में यूपी सरकार ने एसआईटी गठित की थी. एसआईटी ने 15 दिनों में आरोप पत्र दाखिल कर करीब 500 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की थी. इस मामले की सुनवाई लखीमपुर खीरी की पॉस्कों कोर्ट में चल रही थी.

विशेष न्यायाधीश पॉक्सो राहुल सिंह की अदालत में अभियोजन और बचाव पक्ष की तरफ से अपनी-अपनी दलीलें दी गई. दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद कोर्ट ने 11 अगस्त को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था. कोर्ट में सोमवार को सजा के बिंदु पर बहस हुई. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह केस रेयर ऑफ रेयरेस्ट है. अभियुक्तों ने न केवल मर्डर किया है, बल्कि रेप के बाद मर्डर कर शव को पेड़ से लटकाया है. ऐसा कोई सामान्य व्यक्ति या अपराधी नहीं करता है. ये अपराध समाज के लिए भी घातक है. अदालत ने कहा कि दोषी जुनैद और छोटू उर्फ सुनील समाज के लिए घातक हैं. इसलिए ये आखिरी सांस तक जेल में रहेंगे. इसके अलावा दोनों पर 46-46 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया. वहीं साक्ष्य मिटाने वाले आरिफ और करीमुद्दीन को 6-6 साल की सजा सुनाई. साथ ही 5-5 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया. अदालत ने अर्थदंड की राशि में से 50 हजार रुपये की राशि वादी मुकदमा पीड़िता की मां को देने का आदेश दिया है.

एडीजीसी बृजेश कुमार पांडेय ने कहा कि जिस देश मे नारियों की पूजा होती हो, वहां नारियों के साथ ऐसा बर्ताव समाज में गलत संदेश देता है. अदालत ने इस केस को गंभीर बताया है. लोक अभियोजक ने कहा कि ठोस सबूत और बेहतर पैरवी की वजह से यह फैसला 11 महीनों में ही आ गया है. उन्होंने अभियुक्तों को सजा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. उन्होंने कहा कि अदालत में 15 लोगों की गवाहियां हुई. इसके अलावा 24 आर्टिकल पेश किए. साथ ही साइंटिफिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को भी अदालत में पेश किया गया था. पॉक्सो अदालत ने कहा कि यह केस बहुत ही रेयर है. उन्होंने कहा कि 2 नाबालिक अभियुक्तों का मामला अभी कोर्ट में चल रहा है.



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