उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

फर्जी दस्तावेज दिखाकर पिछले सात सालों से कर रहा था रेलवे में नौकरी, ऐसे हुआ भंडाफोड़

By

Published : Oct 3, 2021, 7:44 AM IST

Updated : Oct 3, 2021, 6:12 PM IST

कानपुर का एक युवक पिछले सात सालों से अपने छोटे भाई का दस्तावेज दिखाकर रेलवे में सुरक्षा बल के तौर पर काम कर रहा था. वहीं, इस घटना के सामने आने के बाद रेलवे अधिकारियों ने आरोपित युवक के गांव का दौरा कर सच्चाई पता की. वहीं, सच सामने आने के बाद सभी दंग रह गए.

फर्जी दस्तावेज दिखाकर पिछले सात सालों से कर रहा था रेलवे में नौकरी
फर्जी दस्तावेज दिखाकर पिछले सात सालों से कर रहा था रेलवे में नौकरी

कानपुर:एक तरफ जहां सूबे की योगी सरकार फर्जीवाड़े को लेकर सतर्क रहने के साथ ही ऐसा करने वालों पर शिकंजा कस रही है तो वहीं, दूसरी घाटमपुर तहसील के कोरो गांव में एक सनसनीखेज मामला (sensational case) सामने आया है. यहां एक शख्स पिछले सात सालों से अपने छोटे भाई के दस्तावेजों को दिखा रेलवे में सुरक्षा बल(working in the railways for seven years showing the documents of his younger brother) की नौकरी कर रहा है. लेकिन अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की इस पर निगाह नहीं पड़ी थी.

वहीं, गांव के ही अवधेश कुमार ने इस बात से रेलवे बोर्ड बरौनी को अवगत कराया है. इधर, उक्त मामले के प्रकाश में आने के बाद रेलवे अधिकारियों के बीच हडकंप मच गया. रेलवे के आलाधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं.

इसे भी पढ़ें - कानपुर में समाजवादी पार्टी नेता की गोली मारकर हत्या, बीच बाजार में बरसाईं गोलियां

प्राप्त जानकारी के मुताबिक संतोष कुमार पुत्र भईया लाल जो कि साल 2011 में रेलवे सुरक्षा बल की भर्ती निकलने के दौरान चयनित हुआ था ने इस नौकरी को हासिल करने के लिए अपने छोटे भाई मंतोष के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है. वहीं, इस फर्जी कागजातों से संतोष कुमार ने भारतीय रेलवे में रेलवे सुरक्षा बल में नियुक्ति प्राप्त की थी. इस फर्जीवाड़े के दौरान कागजातों के आधार पर संतोष कुमार ने सात सालों तक नौकरी भी कर ली है.

फर्जी दस्तावेज दिखाकर पिछले सात सालों से कर रहा था रेलवे में नौकरी

इस मामले की जानकारी गांववालों को होने के बाद ग्राम निवासी अवधेश कुमार, अजय कुमार और प्रेम शंकर ने इसकी लिखित शिकायत रेलवे बोर्ड बरौनी को की, जहां रेलवे बोर्ड ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं. वहीं, इस मामले की जांच का जिम्मा रवीन्द्र कुमार यादव को दिया गया है.

रेलवे अधिकारियों ने गांव पहुंचकर मामले की जांच कर ग्रामीणों से पूछताछ की, जहां शिकायतकर्ता के साथ गांव के कुछ अन्य ग्रामीणों ने भी इस मामले की हकीकत बयां की.

फर्जी दस्तावेज दिखाकर पिछले सात सालों से कर रहा था रेलवे में नौकरी

इधर, मामले की जांच को गांव पहुंचे रेलवे अधिकारियों ने ग्रामीणों व शिकायतकर्ता को यह आश्वासन दिया कि आरोपित फर्जी दस्तावेज के बल पर नौकरी पाने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं आरोपित ने ग्राम प्रधान से लेकर सभी प्रमाणपत्रों व दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर भी कराए.

इनकी शिकायत से हुआ मामले का खुलासा.

लेकिन रेलवे चयन प्रक्रिया के दौरान किसी भी जिम्मेदार अधिकारी व जांचकर्ता अधिकारियों की इस पर निगाह नहीं पड़ी. यही कारण है कि आरोपित को रेलवे सुरक्षा बल में नौकरी मिल गई और वह पिछले सात सालों से नौकरी भी करता आ रहा था. हालांकि, ये जांच का विषय है. कुल मिलाकर कहे तो इस मामले में कही न कही रेलवे के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं.

Last Updated : Oct 3, 2021, 6:12 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details