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यूपी के इस शहर में माफिया अतीक के कनेक्शन की आहट, गुर्गों के शरणदाताओं की फाइलें पलटने लगी एसटीएफ

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Published : Mar 23, 2023, 4:21 PM IST

साल 2014 से लेकर 2019 तक अतीक अहमद गिरोह के तमाम गुर्गों का कानपुर आना-जाना रहा है. शासन स्तर से निर्देश मिलते ही अफसरों ने मुस्लिम क्षेत्रों से इनपुट जुटाना शुरू कर दिया है. गैंगस्टरों पर भी अधिकारियों की है नजर.

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कानपुर: पूरे देश में करीब एक माह से प्रयागराज का उमेश पाल हत्याकांड सबसे अधिक सुर्खियों में है. इस हत्याकांड में डॉन व माफिया अतीक अहमद का कनेक्शन सालों बाद एक बार फिर सामने आया है. क्योंकि, जिस तरह से विधायक राजू पाल की हत्या अतीक अहमद गैंग ने की थी, उसी अंदाज में विधायक हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल को सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया गया था.

पूरे देश में अतीक कनेक्शन को लेकर स्पेशल टास्क फोर्स समेत पुलिस की कई अन्य टीमें अपने स्तर से जहां कवायद कर रही हैं, वहीं कानपुर में अतीक कनेक्शन की आहट के बाद एसटीएफ के अफसरों ने गुर्गों के शरणदाताओं की फाइलें पलटना शुरू कर दी हैं. शासन से निर्देश मिलने के बाद यह कवायद जोरों पर जारी है. शहर के मुस्लिम क्षेत्रों से इनपुट जुटाया जा रहा है.

2014 से लेकर 2019 तक शहर में अतीक के गुर्गों का आना-जाना रहा: नाम न छापने की शर्त पर एसटीएफ के एक आला अफसर ने बताया कि 2014 से लेकर 2019 तक अतीक के गुर्गों का शहर में खूब आना-जाना रहा है. उस समय प्रयागराज में जहां इंटर स्टेट 227 गैंग सक्रिय रहा, तो वहीं कानपुर शहर में भी इंटर स्टेट 273 गिरोह सक्रिय थे.

अफसर बताते हैं, कि इन दोनों अंतरराज्यीय गिरोह के गुर्गे आपस में मिलते थे और संगठित अपराध करते थे. आईएस के लिए तो कहा जाता है. उसका पूरा संचालन अतीक अहमद के इशारे पर होता था. वहीं, अपराध के बाद उक्त गैंग के सदस्य शहर में कई शरणदाताओं के पास अपना ठिया बनाते थे. अब, उन पुुराने ठिकानों को तलाशा जा रहा है. जबकि आईएस 227 और आईएस 273 गैंग के सभी सदस्य या तो जेल भेज दिए गए, या उनका एनकाउंटर कर दिया गया.

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