कानपुर:वैसे तो शहर में 100 से अधिक स्थानों पर रामलीला हो रही है. लेकिन, शहर के परेड मैदान में जो रामलीला होती है. उसका इतिहास बेहद अनूठा और रोचक है. 145 सालों पुरानी इस रामलीला में कभी एक ऐसा भी समय था. जब इस मैदान पर अंग्रेज दर्शक बनकर रामलीला देखने आया करते थे. दरअसल, ब्रिटिश काल में परेड ग्राउंड पर अंग्रेजों की परेड होती थी. उसके बाद जब से रामलीला शुरू हुई तब से लेकर लगातार लोगों की संख्या बढ़ती रही.
श्रीरामलीला सोसाइटी परेड के प्रधानमंत्री (वरिष्ठ पदाधिकारी) कमल किशोर ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते दो वर्षों तक रामलीला का आयोजन नहीं हो सका था. हालांकि, अब इस साल पूरी भव्यता के साथ रामलीला हो रही है. दशहरा के दिन इस मैदान पर लाखों की संख्या में लोग आते हैं और रावण दहन और रामलीला के मंचन का आनंद लेते हैं.
जानकारी देते रामलीला कमेटी के प्रधानमंत्री कमल किशोर सीता का किरदार, निभाते पुरुष कलाकार: श्रीरामलीला सोसाइटी परेड के उपाध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने बताया कि इस रामलीला की जो सबसे रुचिकर बात है. वह यह कि सीता माता का किरदार निभाना हो या फिर किसी अन्य महिला का, हर किरदार को पुरुष ही निभाते हैं. यह परंपरा भी तब से चल रही है, जब से कानपुर में रामलीला शुरू हुई थी. रामलीला में सबसे आकर्षण का बिंदु यही रहता है.
शरद पूर्णिमा तक रामलीला भवन में ठहरते हैं ठाकुर जी: परेड में जितने दिन रामलीला होती है. उतने दिन ठाकुर जी (सभी मुख्य किरदार- जैसे भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता, भगवान हनुमान) मेस्टन रोड (परेड मैदान के समीप बना भवन) स्थित रामलीला भवन में ठहरते हैं. वह भवन से बाहर कहीं नहीं निकलते है. इस तरह का क्रम शरद पूर्णिमा तक चलता है. उसके बाद ही ठाकुर जी कहीं जाते हैं.
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