उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

गंगा जमुनी तहजीब संग मनाया गया ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

झांसी जिले के अलग-अलग इलाकों में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. यह त्योहार इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने की 12 तारीख को पड़ता है. मान्यताओं के अनुसार रवि अव्वल की 12वीं तारीख को ही मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था और इसी दिन इनका इंतकाल भी हुआ था. इसलिए इस दिन को 12 वफात के नाम से भी जाना जाता है.

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

By

Published : Oct 20, 2021, 8:11 AM IST

Updated : Oct 20, 2021, 8:56 AM IST

झांसी: जिले के अलग-अलग इलाकों में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिन ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ईद ए मिलाद उन नबी के दिन इस्लाम के मानने वाले मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और हजरत मोहम्मद की शिक्षाओं और उपदेशों को अमल लाने का संकल्प लेते हैं. इस दिन इस्लाम को मानने वाले लोग जुलूस भी निकालते हैं. इस दिन हरे रंग के धागे बांधने या कपड़े पहनने का भी रिवाज है. इसके साथ ही इस दिन पारंपरिक खाने बनाए जाते हैं वह गरीबों में बांटे जाते हैं




इसके साथ ही झांसी में गंगा जमुनी तहजीब का भी नजारा देखने को मिला. जहां कुछ हिंदू समुदाय के भाइयों ने जुलूस में आए मुस्लिम समाज के बुजुर्गों, हाफिज और मौलाना जुलूस की अगुवाई कर रहे थे उन्हें माला पहनाकर और फूलों की बरसात कर स्वागत किया. झांसी में खासतौर के सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल हमेशा इसी तरह देखने को मिलता है.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद-ए-मिलाद-उन-नबी

झांसी की अगर हम बात करें तो झांसी में चारों तरफ कई रानी झांसी के समय के मुख्य द्वार है सांप्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए वहां पर दरवाजे के दोनों ओर एक तरफ मंदिर और दूसरी तरफ मजार स्थापित है. गेट के एक तरफ मंदिर और दूसरी तरफ मजार स्थापित करने का रानी झांसी के समय से एक मकसद था, सांप्रदायिक सौहार्द पैदा करना जिससे लोगों में मोहब्बत पैदा हो आपसी भाईचारा बना रहे. एक दूसरे के त्योहारों में मिलजुल कर त्यौहार मनाए जाएं.

यह भी पढ़ें:20 अक्टूबर को पीएम मोदी की अगवानी करेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ, तीनों कार्यक्रम स्थलों का लिया जायजा

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में चुनाव भी हैं, इसके चलते झांसी की मिनर्वा चौराहे पर राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े होर्डिंग ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारक बाद देते हुए दिखाई दिए. मुस्लिम बंधुओं ने अपना जुलूस शहर के मुख्य रास्तों से होकर मिनर्वा चौराहे पर समाप्त किया. जिसमें शासन और प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.

Last Updated : Oct 20, 2021, 8:56 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details