जौनपुरः 8 करोड़ की लागत से रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का काम तेजी से कराया जा रहा था. अगस्त महीने में पहली बार जलस्तर बढ़ने की वजह से ये योजना प्रभावित हुई थी. ईटीवी भारत ने उस समय भी इस खबर को प्रमुखता से लिया था. दोबारा बढ़ते जलस्तर की वजह से ये योजना दोबारा प्रभावित हो गई है. जिससे स्वच्छ गोमती अभियान योजना का काम समय पर पूरा होने पर सवाल खड़े कर रहा है.
जौनपुर में घाटों के सौंदर्यीकरण को लेकर 8 करोड़ की लागत से काम चल रहा है. लेकिन एक महीने में दूसरी बार ये योजना नदी के बढ़ते जलस्तर की वजह से रोक दी गई. इसको लेकर स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि पीएम की इतनी महत्वाकांक्षी योजना को मानसून सत्र में शुरू कर दिया गया. नदियों का जलस्तर इस मौसम में बढ़ता रहता है और ऐसे में इस समय काम कराने की क्या आवश्यकता थी. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण योजना में लगे पैसे भी बर्बाद हो रहे हैं.
अदूरदर्शिता की भेंट चढ़ी रिवरफ्रंट योजना उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब नमामि गंगे के तहत हो रहा ये काम बढ़ते जलस्तर की वजह से रूका हो. स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने आरोप लगाया कि ये अदूरदर्शिता का शिकार हो गई है.
उन्होंने कहा कि पिछले महीने में भी नदियों का जलस्तर बढ़ गया था. जहां से वाटर ट्रेन किया गया था, वहां फिर से पानी भर गया है. ऐसे में सरकारी धन का नुकसान हो रहा है. उनका कहना है कि ऐसे में ठेकेदार अलग से पैसा नहीं लगाएगा और जो पैसे इसके लिए निर्गत हैं, उन्हीं पैसों में इतना काम करेगा. गौतम गुप्ता ने कहा कि इस योजना में अब तक लगे सारे पैसे भी बर्बाद हो गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार ने जनता के लाभ के लिए और शहर के सुंदरीकरण के लिए इतने पैसे दिए, लेकिन वो सभी पैसे विभाग के चलते डूब रहे हैं.
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उनका कहना है कि नदी की धारा में परिवर्तन हो गया है. ये नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के विपरीत काम हो रहा है. नदी में करीब 50 फीट तक काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही नदी की जलधारा को अवरोध किया जाएगा, तो निश्चित रूप से स्वच्छ गोमती अभियान एनजीटी का ध्यान आकृष्ट करेगी.