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CM योगी को टक्कर देने मैदान में उतरीं सुभावती शुक्ला की कितनी है राजनीतिक पैठ, जानने के लिए पढ़े ये ख़बर..

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Published : Feb 7, 2022, 6:18 PM IST

etv bharat

गोरखपुर की सदर विधानसभा सीट (gorakhpur sadar assembly seat) से बीजेपी प्रत्याशी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के सामने आखिरकार समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा सोमवार को कर दी. एसपी ने सीएम योगी को टक्कर देने के लिए सुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा है.

गोरखपुरः जिला की सदर विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी सीएम योगी हैं. ऐसे में एसपी ने उनको टक्कर देने के लिए सुभावती शुक्ला को मैदान में उतारा है. इन्होंने अभी एक महीने पहले ही समाजवादी पार्टी का दामन थामा था. इनके पति स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला भारतीय जनता पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश के उपाध्यक्ष भी रहे. लेकिन उनके निधन के बाद बीजेपी और सीएम योगी की उपेक्षा से आहत होकर पत्नी सुभावती शुक्ला ने एसपी का दामन थाम लिया. जब से वे सपा से जुड़ी, तभी से उनको सीएम योगी के खिलाफ प्रत्याशी बनाये जाने की चर्चा जोरों पर थी. लेकिन इसकी घोषणा होने में कुछ देर जरूर हुई.

एसपी प्रत्याशी सुभावती ये चुनौती देती रही हैं कि चुनाव में वो योगी आदित्यनाथ को हराकर अपने पति का सम्मान वापस लाएंगी और अपमान का भी बदला लेंगी. बात इनके राजनीतिक करियर की करें, तो सुभावती शुक्ला का अपना खुद का कोई राजनीतिक संघर्ष या पहचान नहीं है. ये पूरी तरह से घरेलू महिला रही हैं. उपेंद्र दत्त शुक्ला जैसे प्रखर और मजबूत बीजेपी नेता की पत्नी होना ही इनकी पहचान है. उपेंद्र शुक्ला योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में साल 2018 का लोकसभा उपचुनाव भी गोरखपुर से लड़े थे. लेकिन महज 26 हजार वोटों से इन्हें समाजवादी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा था. यही हार उपेंद्र शुक्ला के जीवन के लिए काल बन गई. वो स्वास्थ्य से परेशान होते चले गए.

SP प्रत्याशी सुभावती शुक्ला

करीब 20 महीने पहले हार्ट अटैक से उपेंद्र शुक्ला का निधन हो गया. सुभावती और उपेंद्र शुक्ला के 2 बेटे अरविंद और अमित शुक्ला हैं. पिता की मौत के बाद मां के साथ उनके दोनों बेटे लगातार संघर्षों में बने रहे. लेकिन इस बीच बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने तो परिवार का हाल-चाल लिया, लेकिन मजबूती देने का काम किसी ने नहीं किया. सुभावती शुक्ला और उनके बच्चों का सबसे बड़ा दुख इस बात का था कि योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के लिए उपेंद्र शुक्ला दिन रात एक करते थे. पुलिस की लाठियां खाये. जेल में भी रहे, फिर बीजेपी और योगी मिलकर उन्हें 2018 का लोकसभा उपचुनाव में जीत क्यों नहीं दिला पाए. जबकि खुद योगी इस सीट को तीन लाख से अधिक मतों से जीतते थे और 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बाहरी नेता और अभिनेता के रूप में रवि किशन ने करीब 4 लाख वोटों से इस सीट को जीता था.

चुनावी हार के सदमे में यह परिवार तो था ही, लेकिन उपेंद्र दत्त शुक्ला की मौत से इसका गम और बढ़ गया. राजनीतिक पाला बदलने के लिए यह परिवार तब मजबूर हुआ जब उसे लगा कि बीजेपी और योगी उनके परिवार की तनिक भी चिंता नहीं कर रहे. सुभावती शुक्ला के लिए फिलहाल योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ना, चुनाव को जीतना बड़ा कठिनाई भरा होगा.

एकतरफ योगी को जिताने के लिए गोरखपुर का स्थानीय बीजेपी संगठन लगा है, वहीं योगी के संगठन हिंदू युवा वाहिनी और गोरक्षनाथ पूर्वांचल विकास मंच के लोग गली गली घूम रहे हैं. योगी इसी भरोसे 4 फरवरी को अपना नामांकन कर प्रदेश की विभिन्न सीटों के प्रचार के लिए निकल पड़े हैं और पार्टी कार्यकर्ता समेत आम जनता भी उनके लिए हुंकार भर रही है. शहर के व्यापारियों का संगठन खुलकर योगी के समर्थन में है. योगी इसके पहले भी अपने नुमाइंदे के रूप में डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को चुनाव जीताते रहे हैं. ऐसे में जब वह खुद प्रत्याशी हैं, तो उनके सामने सुभावती शुक्ला की जीत काफी संघर्ष भरी हो सकती है.

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समाजवादी पार्टी यहां से चुनाव लड़ती रही है, लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी के मुकाबले भी उसे हर बार बड़ी हार का सामना करना पड़ता था. 2017 के विधानसभा चुनाव में राधा मोहन दास अग्रवाल गोरखपुर से विजयी हुए थे. बीजेपी इस बार योगी आदित्यनाथ को अधिकतम मतों के साथ प्रदेश में रिकॉर्ड जीत दर्ज कराने की कोशिश में लगी है. अब जब सुभावती शुक्ला मैदान में आ चुकी हैं उनकी देरी और समाजवादी पार्टी कि अपनी तैयारी उन्हें जीत में कितनी मदद करती है यह तो 10 मार्च की तारीख ही तय करेगी. लेकिन एक बात साफ है कि समाजवादी पार्टी कहीं न कहीं इस सीट पर अपनी रणनीति बनाने और प्रत्याशी उतारने में भारतीय जनता पार्टी से काफी पिछड़ चुकी है.

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