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मुन्नू भाई और अफजल के बनाए गए रावण से होगा बुराई पर अच्छाई की जीत का आगाज

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Published : Oct 15, 2021, 1:20 PM IST

गोरखपुर शहर में चल रही रामलीला में तीन जगहों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा. रावण दहन के साथ ही अहंकार का अंत हो जाएगा और असत्य पर सत्य की जीत होगी.

बुराई पर अच्छाई की जीत विजयदशमी
बुराई पर अच्छाई की जीत विजयदशमी

गोरखपुरः शहर में चल रही रामलीला में तीन जगहों पर रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा. इसके साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के भी पुतलों का दहन किया जाएगा. इन पुतलों को बनाने वाले मुन्नू पेंटर और उनके बेटे अफजल पिछले कई पीढ़ियों से इस परंपरा को गोरखपुर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों में जीवित रखे हुए है. हिंदू धर्मआवली के मुताबिक दशहरे पर रावण का दहन का विशेष महत्व होता है.

बर्डघाट, आर्य नगर और धर्मशाला में रावण के पुतलों के दहन के लिए रामलीला कमेटियों की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. दशहरा मेला देखने के लिए दूर दराज से लोगों की भीड़ उमड़ती है. ऐसे में इस परंपरा को जीवित रखने वाले बेनीगंज से मुन्नू पेंटर का परिवार अहम योगदान रखता है. भले ही धर्म से वह मुस्लिम हैं, लेकिन हिंदुओं के त्योहार में पूरा परिवार बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है और शायद यही वजह है कि सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन होता चला आ रहा है.

बुराई पर अच्छाई की जीत विजयदशमी
पिछले चार पीढ़ियों से मुन्नू पेंटर का परिवार ताजिया, रामायण मेघनाद का पुतला, विभिन्न मंदिरों पर वॉल पेंटिंग के साथ ही कई तीज त्योहारों में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में पूरी निष्ठा और तत्परता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता चला आ रहा है. इस साल भी इस परिवार के पास कई पुतलों का आर्डर है. जिसे पूरा परिवार मिलकर अंतिम रूप देने में लगा हुआ है. इसके बाद भरत मिलाप में निकलने वाले विभिन्न झांकियों की भी सजावट की जिम्मेदारी इस परिवार की जिम्मे है.
रावण के पुतले को बनाता मुस्लिम परिवार
रावण का पुतला बुक कराने आये अभय कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि बच्चों द्वारा रामलीला का आयोजन किया जाता है. जिसमें रावण के पुतले का विशेष महत्व होता है. ऐसे में जब उन्होंने काफी खोजबीन की, तो उन्हें रावण के पुतला बनाने वाले कारीगरों के संबंध में जानकारी नहीं मिली. उन्होंने थक हार कर गूगल का सहारा लिया. गूगल पर बेनीगंज स्थित मुन्नू पेंटर के परिवार का नाम और उनके द्वारा बनाए हुए पुतलों को देखने के बाद वह खुद चलकर यहां पर आए और उन्होंने भी रावण के पुतले का आर्डर दिया. उनका मानना है कि पूरा परिवार मिलजुल कर हिंदुओं के इस विशेष त्योहार को मनाने में लगा हुआ है. नाम मात्र की मजदूरी लेकर यह अपने कई पीढ़ियों की परंपरा को जीवित रखे हुए हैं.
रावण के पुतले को बनाता मुस्लिम परिवार
भाई मुन्नू पेंटर बताते हैं कि यह कार्य पिछले चार पीढ़ियों से लगातार उनका परिवार करता चला आ रहा है और इसी कार्य की बदौलत उनके परिवार का जीवकोपार्जन होता है. वह हिंदुओं के त्योहार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. चाहे वह हिंदुओं से जुड़ी हुई वॉल पेंटिंग हो, मंदिरों में रंग रोगन का कार्य या फिर झांकियों को अंतिम रूप देना. ये सारे काम उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाते हैं. यही वजह है कि लोग दूर-दराज से चलकर उनके पास आते हैं. बेहद कम मजदूरी में उनका परिवार हिंदुओं की इस परंपरा को जीवित किए हुए है.
रावण के पुतले को बनाता मुस्लिम परिवार

वहीं उनके बेटे मोहम्मद अफजल बताते हैं कि उन्होंने ये काम अपने दादा और अपने पिताजी से सीखा है. अब इस कार्य में वो लगातार परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पुतलों के निर्माण को आखिरी रूप देने में लगे हुए हैं. अगर समय से समितियों को पुतले नहीं मिलेंगे, तो फिर सालों की परंपरा में विघ्न उत्तपन्न हो सकता है. ऐसे में पूरे परिवार की यही मंशा होती है कि सभी दलों को समय से रामलीला कमेटियों के सदस्यों को दे दें. जिससे धर्म से जुड़े हुए इस पारंपरिक त्योहार में किसी प्रकार का कोई खलल न पड़े.

रावण के पुतले को बनाता मुस्लिम परिवार

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वहीं बचपन से इस परिवार से जुड़े हुए मनीष बताते हैं कि हिंदुओं के पर्व में ये परिवार एक विशेष महत्व रखता है. यही वजह है कि दूर दराज से लोग खोजते हुए इस परिवार को यहां पर आते हैं. इनके इस कार्य से इनका ही नहीं इस क्षेत्र का भी नाम होता है. हम लोगों के लिए ये हर्ष का विषय है कि हमारे क्षेत्र में एक मुस्लिम परिवार जो हमारी परंपराओं को जीवंत किए हुए हैं.

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