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पिपराइच पर MLA से ज्यादा सीएम योगी की मेहरबानी, चीनी मिल और पॉवर प्लांट से समृद्ध है ये इलाका

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Published : Sep 12, 2021, 3:58 PM IST

गोरखपुर जिले की पिपराइच विधानसभा क्षेत्र गन्ना उत्पादन के लिए पहचान रखती है. पूर्व में यहां गन्ना मिल थी. जो अब बंद हो गई थी.

पिपराइच विधान सभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
पिपराइच विधान सभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट

गोरखपुरः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 सिर पर है. ऐसे में हमारी पड़ताल हर विधानसभा क्षेत्रों के लिए चल रही है. इसी क्रम में आज हम बात करेंगे, गोरखपुर के पिपराइच विधानसभा क्षेत्र की. ये क्षेत्र गन्ना उत्पादन के लिए जानी जाती है. पूर्व में यहां गन्ना मिल थी, जो बंद हो गई थी. प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद इस क्षेत्र की पहचान लौट आई और करीब 412 करोड़ रुपये की लागत से यहां नई चीनी मिल की स्थापना हुई. यहां 300 करोड़ रुपये की लागत से डिस्टलरी यूनिट भी लगने जा रही है. इसके साथ ही चीनी मिल से बिजली का उत्पादन भी हो रहा है. जिससे क्षेत्र के किसानों के साथ हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

पिपराइच क्षेत्र को तहसील बनाने की मांग सालों से चली आ रही है. जो आज भी अभी लंबित है. मुख्य बाजार पिपराइच से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर ओवर ब्रिज बनाने की मांग भी अभी पूरी नहीं हो पाई है. बिजली केंद्र की क्षमता का विस्तार और पिपराइच-गोरखपुर मार्ग को अब फोरलेन बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस क्षेत्र से कुशीनगर और बिहार के लिए भी लोगों का जाना होता है. इसलिए विकास की कई जरूरतें यहां महसूस की जा रही हैं. ये जरूरतें ही अब मुद्दा बनती जा रही हैं. लेकिन इस विधानसभा पर सीएम योगी की विशेष नजर होने से कई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम हो गया है, जो मिल का पत्थर बन गया है. परिसीमन 2012 में इस क्षेत्र में पूर्व की मनीराम विधानसभा का कुछ क्षेत्र शामिल हो गया है और कुछ क्षेत्र सदर विधानसभा में आ गया है. इसलिए ग्रामीण पृष्ठभूमि की इस विधानसभा सीट में अब कुछ शहरी इलाके भी जुट गए हैं.

महेंद्र पाल सिंह, MLA

इस विधानसभा क्षेत्र में खाद का कारखाना बनकर तैयार हो गया है, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी अक्टूबर 2021 में कर सकते हैं. प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 29 अगस्त 2021 को किया है. सीएम योगी ने अपना निजी विश्वविद्यालय भी इसी क्षेत्र में बनाया है. लो-फ्लोर बसों का चार्जिंग स्टेशन बन रहा है, तो अंतरराज्यीय बस अड्डा भी इस क्षेत्र में प्रस्तावित है. आईटी कॉलेज, मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल भी यहां बना है, लेकिन इन निर्माण कार्यों को क्षेत्र की जनता विधायक महेंद्र पाल की उपलब्धियों में नहीं गिनती. लोग इसे योगी की देन मानते हैं, जो योगी सांसद रहते इस क्षेत्र को देना चाहते थे. वहां विधायक महेंद्र पाल से जब उपलब्धियों और समस्याओं पर बात की जाती है, तो वो कहते हैं कि निश्चित रूप से योगी जी की कृपा से यह विकास योजनाएं धरातल पर उतरी हैं. लेकिन लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि यह धरातल तो पिपराइच विधानसभा का ही है. उन्होंने कहा कि उनके प्रयास से कोल्हुआ घाट पुल का निर्माण हुआ. नुरुद्दीन चक में पीपा का पुल लगा. 100 किलोमीटर पक्की सड़क बनी. 200 किलोमीटर कच्ची सड़क बनी. रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं. उन्होंने कहा कि विरोधियों के पास जब कुछ नही बचता घेरने के लिए तो इस तरह उनकी नाकामी गिनाते हैं.

गन्ने से संमृद्ध पिपराइच

पिपराइच विधान सभा का क्रमांक-321 है. इस क्षेत्र में कुल 3,94,972 मतदाता हैं. जिनमें पुरुष मतदाता 2,16,354 और महिला मतदाता 1,78,618 हैं. वर्तमान विधायक महेंद्र पाल सिंह को पहली बार में ही बीजेपी के टिकट पर विधायक बनने का अवसर मिला है. यह योगी के खास और चरगांवा ब्लॉक के कई बार ब्लॉक प्रमुख रहे हैं. इनका ईंट-भट्ठे का कारोबार है. इन्होंने विधानसभा चुनाव 2017 में बसपा के आफताब आलम को हराया था. जबकि सपा के अमरेंद्र निषाद तीसरे नंबर पर थे. बीजेपी यहां कई चुनाव बाद खाता खोलने में कामयाब रही है. बहुत पहले लल्लन प्रसाद त्रिपाठी इस क्षेत्र से बीजेपी के विधायक चुने गए थे.

सड़कों का कराया जा रहा निर्माण कार्य

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यह क्षेत्र निषाद जाति बाहुल्य है. यही वजह है कि 2007 और 2012 में यहां से जमुना निषाद और जनकी राजमती निषाद विधायक चुनी गईं. इसके पहले के चुनाव में यह बिरादरी निर्दलीय जितेंद्र जायसवाल के पक्ष में आकर उन्हें जीत दिलाती रही. जितेंद्र बड़े शराब कारोबारी थे. 2017 के चुनाव मोदी लहर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाई तो स्थानीय स्तर पर बीस वर्षों से सक्रिय रहने वाले राजनेता महेंद्र पाल सिंह निषादों को अपने पाले में करने में कामयाब रहे. विधायक ओबीसी कास्ट से हैं. यह बिरादरी भी क्षेत्र में दूसरे नंबर पर है. दलित सामज भी यहां तीसरे नंबर पर है. मुस्लिम बिरादरी भी अहम रोल निभाती है. लेकिन फॉरवर्ड जाति के लोगों की संख्या यहां सबसे कम है. यही वजह है कि प्रत्याशी चयन में हर पार्टी निषाद या बैकवर्ड जाति के नेता का चुनाव करती है.

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