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Muscular Dystrophy: बीमारी से पीड़ित बच्चाें के परिजनाें का दर्द, डॉक्टर कहते हैं बेटा नहीं बचेगा, मोदी-योगी से है उम्मीद

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Published : Feb 6, 2023, 3:36 PM IST

गोरखपुर में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चाें के परिजनाें ने मदद की गुहार लगाई.

गोरखपुर और उसके आसपास के जिलाें के काफी बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. बीमार बच्चाें का इलाज कराते-कराते वे पूरी तरह टूट चुके हैं. वे अब पीएम माेदी और सीएम याेगी से उम्मीदें लगाए बैठे हैं.

गोरखपुर : गाेरखपुर समेत आसपास के कई जिलाें के बच्चे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं. इस बीमारी में मांसपेशियां कमजाेर हाेती चली जाती हैं. इस जानलेवा बीमारी का इलाज काफी महंगा है. बच्चाें के परिजन काफी परेशान हैं. जिले में साेमवार काे प्रयागराज, आजमगढ़, जौनपुर, बस्ती से 100 से अधिक लाेग अपने बच्चाें काे लेकर पहुंचे. इनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. इन लाेगाें ने शहर के इंद्रबाल विहार तिराहे पर पोस्टर और बैनर के साथ पीएम माेदी और सीएम याेगी से मदद की गुहार लगाई.

लाेगाें ने मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित अपने 2 बच्चाें समेत आत्महत्या करने वाले भाजपा पार्षद संजीव मिश्रा को श्रद्धांजलि भी दी. लोगों का कहना था कि पीड़ित पार्षद के बच्चे इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उन्हें जब बेहतर इलाज नहीं मिला और जीवन कठिन हो गया तो उन्हाेंने जान दे दी.

बीमार बच्चे के पिता सत्य प्रकाश पाठक ने बताया कि वह अपने बच्चे का इलाज पीजीआई में कराते-कराते टूट चुके हैं. कुछ सुधार भी नहीं हो रहा है. डॉक्टर ने साफ कह दिया है कि बच्चे को घर ले जाइए, अब उसके जीवन की कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि जब कोई भी पिता अपने बच्चे के जीवन को लेकर इस तरह की बात सुनेगा तो उसके दिल और दिमाग पर क्या असर पड़ेगा. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में 4 कैटेगरी में बीमारी छोटे-छोटे बच्चों को प्रभावित करती है. बच्चे असहनीय दर्द सहते हुए मृत्यु को प्राप्त करते हैं. कई परिवार तो ऐसे भी हैं जिनके 2 से 3 बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं. हमारी मांग है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस बीमारी के पीड़ित बच्चों के इलाज का ठोस प्रबंधन करें.

बीमारी से पीड़ित दुर्गेश ने लाेगाें के सामने अपनी पीड़ा जाहिर की. कहा कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी ने उसे पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है. उसे उठने, बैठने, चलते समय समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसा लगता है कि जीवन कभी भी समाप्त हो सकता है. इस बीमारी के इलाज पर 15 से 20 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

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