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स्तन कैंसर को बता देती हैं महिलाओं के हाथों की अंगुलियां, शोध में हुआ खुलासा

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Published : Aug 24, 2021, 11:58 AM IST

महिलाओं की अंगुलियों में अगर अलनर या वर्ल लूप है तो उन्हें स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है. गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (Gorakhpur BRD Medical College) के एनाटमी विभाग के शोध में इसका खुलासा हुआ है. 290 महिलाओं पर हुए इस शोध में 145 सामान्य और 145 कैंसर पीड़ित महिलाओं को शामिल किया गया था.

स्तन कैंसर को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में किया गया शोध.
स्तन कैंसर को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में किया गया शोध.

गोरखपुर: हाथों की लकीरें सिर्फ इंसान की किस्मत ही नहीं बतातीं बल्कि स्वास्थ्य के प्रति भी आगाह करती हैं. बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गोरखपुर (Gorakhpur BRD Medical College) के एनाटमी विभाग में हुए एक शोध ने महिलाओं के हाथों की लकीरों के आधार पर कैंसर की पहचान करने का दावा किया है. वह भी 'स्तन कैंसर' का. यह बड़ा ही आश्चर्यजनक किंतु शोध पर आधारित तथ्य है कि स्तन कैंसर से लेकर अन्य कैंसर की जानकारी भी हाथों की लकीरों से हो सकेगी.

मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग ने शोध में जो खुलासा किया है, उसके लिए उन्होंने करीब 145 महिलाओं पर अपना शोध कार्य किया है, जिसमें 67.93 प्रतिशत महिलाओं की लकीरें अलनर लूप (कानी उंगली की तरफ झुकी रेखाएं) में मिली हैं, जबकि 24.68 प्रतिशत महिलाओं की रेखाएं वर्ल लूप (रेखाएं भवर की तरह) में मिली हैं. इन महिलाओं को 'स्तन कैंसर' हुआ था. विशेषज्ञों का मानना है कि अलनर लूप और वर्ल लूप वाली युवातियों और महिलाओं को स्तन कैंसर का खतरा अधिक है. ऐसी स्थिति में युवातियों और महिलाओं को समय-समय पर कैंसर की जांच जरूर करानी चाहिए.

स्तन कैंसर को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में किया गया शोध.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एनाटमी विभाग में शोध करने वाले डॉ. सज्जाद जफर ने बताया कि हाथों की रेखाएं केवल लोगों का भविष्य ही नहीं बताती हैं बल्कि यह बीमारियों की भी सटीक जानकारी देती हैं. इन्हीं जानकारियों के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 145 ऐसी महिलाओं पर शोध शुरू किया गया, जिनको स्तन कैंसर था और वह मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी के लिए आती थीं. इन महिलाओं के लकीरों की जांच के लिए जब उनके थंब ‌लिए गए तो चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं.

इनके हाथों की दसों अंगुलियों के थंब में यह बात सामने आई कि 67.93 प्रतिशत महिलाओं की रेखाएं अलनर लूप में मिलीं, जबकि 24 प्रतिशत महिलाओं की रेखाएं वर्ल लूप में मिलीं, जबकि सामान्य 145 महिलाओं की रेखाएं रेडियल और डबल लूप में मिलीं. जिन्हें किसी तरह का कोई भी कैंसर नहीं था. इन महिलाओं की उम्र 25 से 70 वर्ष के बीच है. उन्होंने बताया कि यह शोध जनरल ऑफ रिसर्च में प्रकाशित भी हो चुका है. डॉ. सज्जाद जफर ने बताया कि स्तन कैंसर से पी‌ड़ित 145 महिलाओं के 1,450 अंगुलियों के थंब लिए गए थे. चौंकाने वाली बात यह थी कि इन महिलाओं की कानी उंगली की तरफ उनकी रेखाएं झुकी हुई थीं, जो केवल अलनर और वर्ल लूप के रूप में थीं.

डॉ. सज्जाद जफर ने बताया कि हाथ की रेखाएं गर्भ में ही बन जाती हैं. यह पूरे जीवन कभी नहीं बदली जा सकती हैं. इसका बदलाव तभी है, जब हाथ जल जाए या फिर हाथों की अंगुलियों में कोई गंभीर बीमारी हो जाए. तभी कुछ रेखाएं बदलती हैं. इसके अलावा कोई भी रेखाएं नहीं बदलती हैं. उन्होंने बताया कि हाथों की रेखाएं करीब 6 तरह की होती हैं, लेकिन शोध से जो परिणाम आए हैं, वह इलाज और पहचान को आसान बना सकते हैं.

छह तरह की होती हैं हाथों की रेखाएं

  • आर्च लूप- रेखाएं टीले जैसी आकृति बनाती हैं.
  • वर्ल लूप- रेखाएं भवर जैसी आकृति बनाती हैं.
  • अलनर लूप- रेखाओं का झुकाव कानी अंगुली की तरफ होता है.
  • रेडियल लूप- रेखाओं का झुकाव अंगूठे की तरफ होता है.
  • डबल लूप- रेखाओं का झुकाव एक-दूसरे से जुड़ा दिखता है.
  • कंपोजिट लूप- इसमें आर्च, वर्ल लूप का मिश्रण होता है

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