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गाजीपुर: दो दिव्यांग भाइयों के पक्के सुर जो बिखेरती है देशभक्ति के हर रंग

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Published : Jan 26, 2020, 12:40 PM IST

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में दो ऐसे भाइयों हैं जो आंखों से तो नहीं देख सकते मगर उनके सुर से जादू छा जाता है. दोनों की जुगलबंदी से परिवार का पेट भरता है.

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आंखे नहीं मगर जज्बा बुलंद.

गाजीपुर: कहते हैं देशभक्ति भारत वासियों के रोम-रोम में हैं. जिंदगी में भले ही कितनी भी चुनौती हो, देश और तिरंगा सबसे ऊंचा रहे, यह अरमान सभी के दिल में रहता है. यही नहीं देशभक्ति के इसी जज्बे से कईयों की रोजी-रोटी भी चलती है. ऐसे ही हैं जिले में दो दिव्यांग भाई जो आंखों से तो नहीं देख सकते लेकिन इनके सुरों का जादू सुनने वालों के दिल और दिमाग पर छा जाता है. यह दोनों भाई अखिलेश और बबलू अपने गीत और साज की जुगलबंदी से परिवार का पेट पालते हैं.

आंखे नहीं मगर जज्बा बुलंद.

दोनों के भाई के सुर में है जादू
सुरों का जादू ऐसा की किसी आयोजन में सुरों के जादू से चार चांद लगा दे. वहीं एक छोटा बच्चा है जो आयोजन स्थल तक जाने में उनकी लाठी बनता है. इनायतपुर के रहने वाले अखिलेश और बबलू पर भगवान की भी काफी इनायत है. अखिलेश सुरों का जादू बिखेरते हैं तो बबलू ढोलक पर थाप देते हैं. हालांकि जब हमारी मुलाकात उनसे हुई तब उनके पास साज नहीं था.

दोनों भाईयों को 26 जनवरी, 15 अगस्त और वैवाहिक कार्यक्रमों में दादरा, ठुमरी और देश भक्ति गीत के लिए कई बार बुलाया जाता है. दोनों के परिवार में सुर ही कमाई का एक जरिया है, लेकिन दिल में देशभक्ति और कुछ करने का जज्बा है जो इनके गाए गीत में सुना जा सकता है. "हमारे झंडा तिरंगा लहरल करेला, जैसे गंगा जी के पनिया बहाल करेला".

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Intro:दिव्यांग ने बाँधा देशभक्ति का समा, झंडा तिरंगा लहरा करेला जैसे गंगा जी के पनिया बहल करेला

गाजीपुर। कहते हैं देशभक्ति भारत वासियों के वासियों के रोम रोम में है है में है है। जिंदगी में भले ही कितनी भी चुनौती हो, देश और तिरंगा सबसे ऊंचा रहे यह अरमान सभी के दिल में रहता है। एक कार्यक्रम की कवरेज के दौरान ईटीवी की मुलाकात दो दिव्यांग भाइयों से हुई। अखिलेश और बबलू आंखों से नहीं देख सकते। अपने गीत और साज़ की जुगलबंदी से दोनों परिवार का पेट पालते हैं।





Body:सुरों का जादू ऐसा की किसी आयोजन में सुरों के जादू से चार चांद लगा दे। तस्वीरों में दिखने वाला एक छोटा बच्चा जो आयोजन स्थल तक जाने में उनकी लाठी बनता है। इनायतपुर के रहने वाले अखिलेश और बबलू पर भगवान की भी काफी इनायत है। अखिलेश सुरों का जादू बिखेरते हैं तो बबलू ढोलक पर थाप देते हैं। हालांकि जब हमारी मुलाकात उनसे हुई तब उनके पास साज नहीं था।





Conclusion:26 जनवरी, 15 अगस्त और वैवाहिक कार्यक्रमों में दादरा, ठुमरी और देश भक्ति गीत के लिए कई बार बुलाया जाता है। अचानक जब हमारी मुलाकात इनसे हुई तो हमने पूरी कहानी जानी। परिवार में सुर ही कमाई का एक जरिया है। लेकिन दिल में देशभक्ति और कुछ करने का जज्बा है। जो आप खुद उनके गाए गीत में सुन सकते हैं। "हमारे झंडा तिरंगा लहरल करेला, जैसे गंगा जी के पनिया बहाल करेला"।

बाइट - अखिलेश कुमार ( लोक गायक ), विजुअल


उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960

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