फिरोजाबाद:यूपी के फिरोजाबाद जिले में डेंगू और वायरल फीवर से हो रही लगातार मौतों को रोकने के लिए अब पैथोलॉजी सेंटरों को भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे द्वारा जिम्मेदारी सौंपी गई है. इन पैथोलॉजी सेंटरों पर जो भी बीमार व्यक्ति अपने खून की जांच कराने जाएगा. अगर किसी व्यक्ति की प्लेटलेट्स 30 हजार से कम होगी तो पैथोलॉजी संचालक को उसकी जानकारी विवरण समेत स्वास्थ्य विभाग को देनी पड़ेगी ताकि इस बात की जानकारी हो सके कि बीमार व्यक्ति अपना इलाज कहां करा रहा है और अगर किसी सही जगह पर वह इलाज नहीं करा रहा है तो उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया जा सकेगा. मुख्य चिकित्सा अधिकारी का मानना है कि इससे जो मौतों का आंकड़ा है उसको काबू में किया जा सकेगा.
फिरोजाबाद जनपद इन दिनों वायरल फीवर और डेंगू महामारी की चपेट में है. 100 से ज्यादा मरीजों की तो मौत हो चुकी है. स्वास्थ विभाग ने खुद 63 मरीजों की मौत की पुष्टि की है. करीब 500 से ज्यादा मरीज अभी भी बीमार है. 300 मरीजों का इलाज तो मेडिकल कॉलेज में चल रहा है. सैकड़ों की संख्या में मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती है. मुख्यमंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य महकमा लगातार हालातों की समीक्षा कर रहा है. लखनऊ और दिल्ली से कई टीमें आकर भी यह पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर यह कौन सी बीमारी है और किस वजह से फैल रही है. स्वास्थ्य विभाग और एक्सपर्ट्स की जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि यह बीमारी डेंगू है जोकि मच्छरों के लारवा से फैल रही है. स्वास्थ विभाग ने अपनी जांच में ये भी पाया है कि इसका मुख्य कारण गंदगी है. विभाग इस बीमारी पर काबू पाने के लिए कई तरह के कदम भी उठा रहा है. बीते एक माह में स्वास्थ्य महकमे ने साढ़े आठ हजार मरीजों की जांच कराई है. जिनमें से 4,360 मरीजों में डेंगू का लारवा पाया गया है. जबकि 56 मरीजों में स्क्रब टायफस नामक बीमारी पाई गई है.
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बाद भी आंकड़ों में डेंगू कुछ कम तो हुआ है, लेकिन पूरी तरह अभी खत्म नहीं हुआ. अभी भी ग्रामीण और शहरी इलाकों से लगातार इस बीमारी के मरीज अस्पतालों में आ रहे हैं. कई गांव तो ऐसे हैं जहां अभी भी घर-घर चारपाई बिछीं पड़ी है. लोग अभी भी बड़ी संख्या में बीमार हैं.
जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग की पूरी कोशिश के बाद भी डेंगू नामक महामारी पर अंकुश लग पा रहा है और न ही इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा थमने का नाम ले रहा है. स्वास्थ विभाग का मानना है कि यह जो मौतें हो रही हैं. वह उचित इलाज की आवाज में हो रही है. लोग समय पर इलाज नहीं कराते है और इलाज भी लेते हैं तो झोलाछाप डॉक्टरों से जिसकी वजह से मौतें हो रही है, लेकिन अब स्वास्थ विभाग ने एक नई व्यवस्था की है. इस व्यवस्था के तहत कुछ जिम्मेदारी पैथोलॉजी सेंटर को भी सौंपी गई है. इस नई व्यवस्था के तहत अगर कोई मरीज जांच कराने आता है और उसकी प्लेटलेट्स 30 हजार से कम है तो पैथलॉजी को इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी पड़ेगी जिससे यह पता लगाया जा सके कि मरीज की हालत कैसी है और वह किस डॉक्टर पर अपना इलाज करा रहा है. अगर उस मरीज को सही तरीके से इलाज नहीं मिल रहा है तो विभाग उसे अस्पताल में भर्ती कराया और एक्सपर्ट की निगरानी में का इलाज किया जाएगा. मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है निश्चित तौर पर इस नई व्यवस्था से मरीजों की जान बचाई जा सकेगी.