उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

जज के फर्जी हस्ताक्षर कर दो कैदियों को लिपिक ने कराया रिहा

By

Published : Jul 24, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 5:25 PM IST

एटा में एक न्यायिक लिपिक के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. उसने जज के फर्जी हस्ताक्षर कर दो कैदियों को रिहा करा दिया. इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

फर्जी हस्ताक्षर कर 2 कैदियों को लिपिक ने कराया रिहा
फर्जी हस्ताक्षर कर 2 कैदियों को लिपिक ने कराया रिहा

एटाः जिले में एक लिपिक ने अपनी कारस्तानी से न्यायपालिका को शर्मसार कर दिया है. उसने जज के फर्जी हस्ताक्षर कर दो कैदियों को रिहा करा दिया. एस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पॉक्सो एक्ट के आरोपियों को रिहा कराने के लिए न्यायालय के एक लिपिक ने फर्जी आदेश बना लिए और जज के फर्जी हस्ताक्षर कर कैदियों को रिहा करा दिया. जब ये मामला सामने आया तो कोर्ट में हड़कंप मच गया.

दोषी पाया गया लिपिक

मामला संज्ञान में आने पर जिला जज ने आरोपी की जांच कराई जिसमें लिपिक दोषी पाया गया. लिपिक के खिलाफ कोतवाली नगर में दो अलग-अलग बादियों द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है.

लिपिक का फर्जीवाड़ा

आपको बता दें कि जिला न्यायाधीश मृदुलेश कुमार सिंह के आदेश और अपर जिला जज कैलाश कुमार की जांच रिपोर्ट आने के बाद पेशकार अज्ञान विजय की ओर से शिकायत देकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. वहीं दूसरी एफआईआर नवरतन सिंह द्वारा कराई गई है.

लिपिक का फर्जीवाड़ा

आपको बता दें कि जिला न्यायाधीश मृदुलेश कुमार सिंह के आदेश और अपर जिला जज कैलाश कुमार की जांच रिपोर्ट आने के बाद पेशकार अज्ञान विजय की ओर से शिकायत देकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. वहीं दूसरी एफआईआर नवरतन सिंह द्वारा कराई गई है.

लिपिक ने जज कुमार गौरव के किए हैं फर्जी हस्ताक्षर

दोनों एफआईआर में आरोप है कि विशेष न्यायालय के न्यायाधीश पॉक्सो-प्रथम में तैनात लिपिक मनोज कुमार ने न्यायाधीश कुमार गौरव के फर्जी हस्ताक्षर बनाए. इन फर्जी हस्ताक्षर वाले दस्तावेजों से जेल में निरुद्ध आरोपी उमेश कुमार निवासी लोधई को रिहा करवाया. उमेश कुमार थाना सहपऊ जिला हाथरस का रहने वाला है. उसे 7 नवंबर 2020 को रिहा कराया गया था. उमेश पर एक किशोरी के अपहरण, पॉक्सो और एससी-एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज है. 2020 में तैयार हुए फर्जी हस्ताक्षर
वहीं दूसरी एफआईआर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पॉक्सो प्रथम के पेशकार नवरतन सिंह ने लिपिक मनोज कुमार के खिलाफ दर्ज कराई है. इसमें विकास बघेल निवासी बारथर थाना कोतवाली देहात को नौ दिसंबर 2020 को फर्जी हस्ताक्षरों से आदेश तैयार कर रिहा कराने का आरोप है. एफआईआर दर्ज होने के बाद न्यायिक कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है. आपको बता दें विकास बघेल पर दुष्कर्म के साथ पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज है. न्यायाधीश के फर्जी हस्ताक्षर के बाद लिपिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने से न्यायिक कर्मचारियों में तमाम चर्चाएं हैं.

इसे भी पढ़ें- भाई से अवैध संबंध के शक में पति ने पत्नी की गला रेतकर की हत्या

वहीं इस मामले में एसएसपी एटा उदय शंकर सिंह ने बताया कि न्यायिक कर्मचारी की तहरीर के आधार पर 22 जुलाई को एक कर्मचारी के खिलाफ दो रिपोर्ट दर्ज की गई हैं. दोनों मामलों में जांच शुरू करा दी गई है.

इसे भी पढ़ें-जमीन बंटवारे को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष, वीडियो वायरल

Last Updated : Jul 24, 2021, 5:25 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details