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जीत के मद में चूर हैं सपा विधायक, अब की बार जनता देगी पटखनी: बीजेपी नेता अंबरीष रावत

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Published : Nov 7, 2021, 2:20 PM IST

जीत के मद में चूर हैं सपा विधायक.
जीत के मद में चूर हैं सपा विधायक. ()

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए नेता जनता के बीच पैठ बनाने में जुट गए हैं. इसी क्रम में बाराबंकी की जैदपुर सुरक्षित विधानसभा-269 से बीजेपी नेता अंबरीष रावत भी पूरे जोरशोर से क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं. चुनाव की तैयारियों को लेकर ईटीवी भारत से अंबरीष रावत ने बातचीत की. जहां उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

बाराबंकी:जनपद की 6 विधानसभाओं में से कई मायनों में महत्वपूर्ण जैदपुर सुरक्षित विधानसभा-269 है. नए परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में अस्तित्व में आई जैदपुर विधानसभा कई मायनों में खास है. पहले ये विधानसभा मसौली के नाम से जानी जाती थी. इस सीट पर बेनी प्रसाद वर्मा का सालों से कब्जा रहा. परिसीमन के बाद ये विधानसभा सुरक्षित हो गई और पहली बार यहां सपा ने अपना परचम लहराया है.

साल 2017 में मोदी लहर में बीजेपी के उपेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस के तनुज पूनिया को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उपेंद्र सिंह रावत सांसद बन गए तो ये सीट खाली हो गई. लिहाजा इस सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें सपा के गौरव रावत ने बीजेपी के अंबरीष रावत को पटखनी दे दी. तब से ये सीट सपा के खाते में है. अब एक बार फिर बीजेपी के अंबरीष रावत पूरे जोरशोर से क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में लगे हैं. उन्हें भरोसा है कि पार्टी एक बार फिर उन्हें मौका देगी.

जानकारी देते बीजेपी नेता अंबरीष रावत.


कौन है अंबरीष रावत ??

अंबरीष रावत मूल रूप से सिद्धौर ब्लॉक के देवपुरा गांव के रहने वाले हैं. पिता बंशीलाल खेती करते हैं लिहाजा अंबरीष भी उनका हाथ बंटाने लगे. वर्ष 2003 में अंबरीष जैदपुर-सिद्धौर मार्ग पर स्थित मुरलीगंज में आकर रहने लगे. पढ़ाई के दौरान उनका रुझान राजनीति में बढ़ा. जवाहर डिग्रीक कॉलेज से एमए करने के बाद वर्ष 1996 में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. इनकी सक्रियता को देख पार्टी ने वर्ष 2008 में इन्हें अनुसूचित मोर्चे का जिलाध्यक्ष बना दिया. साल 2013 तक ये लगातार इसी पद पर बने रहे.

साल 2013 में अंबरीष रावत को मेन बॉडी का जिला मंत्री बना दिया गया. वर्ष 2016 तक वे जिला मंत्री रहे. वर्तमान में अंबरीष जिला उपाध्यक्ष हैं. वर्ष 2010 में सक्रिय राजनीति में उतरे अंबरीष ने डीडीसी का चुनाव लड़ा और वे जिला पंचायत सदस्य बने. इनकी बढ़ती सक्रियता का असर रहा कि वर्ष 2019 में जब जैदपुर विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो पार्टी ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन अंबरीष चुनाव जीत नहीं सके.

अब एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए अंबरीष रावत को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें मौका देगी और आने वाले विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाएगी. पिछली हार से सबक लेते हुए अंबरीष पूरी तरह क्षेत्र में घूमघूमकर जनता को पार्टी से जोड़ने में लगे हैं. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की...

सवाल- क्या वजह रही कि आप चुनाव हार गए थे?

अंबरीष रावत-पार्टी के बूथ लेवल कार्यकर्ताओं ,विधायकों से लगाकर सांसद सभी ने मेहनत की, लेकिन कोई न कोई कमी रह गई जिसके चलते हार का मुहं देखना पड़ा.

सवाल- चुनाव हारने के बाद क्या किया?
अंबरीष रावत-चुनाव हारने के बाद से लगातार क्षेत्र में जा रहा हूं. जनता की समस्याएं सुन रहा हूं. पार्टी ने तय किया है कि किसी भी कीमत पर इस सीट को जीतना है. पिछली वाली कमियों को दूर कर रहा हूं.

सवाल- अब तक क्षेत्र में कितना विकास हुआ?
अंबरीष रावत-उपचुनाव में सपा के गौरव रावत चुनाव जीतकर विधायक बने, लेकिन क्षेत्र के विकास में उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. विधायक जनता से दूर है. वो जीत के मद में चूर हैं. किसी से मिलते नहीं. विधायक आरोप लगाते हैं कि सरकार उनकी नहीं है लेकिन सरकार कोई भी हो विधायक निधि सबको मिलती है बस विकास करने की मंशा होनी चाहिए.

सवाल- वर्तमान विधायक का आरोप है कि क्षेत्र के विकास के लिए दिए गए उनके प्रस्ताव नही मंजूर किये गए?
अंबरीष रावत-उनका ये कहना निराधार है, सरकार बिना भेदभाव के काम कर रही है. सूबे में एक बार फिर भाजपा सरकार बनने जा रही है लिहाजा विपक्षी बौखलाए हैं, उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. यही कारण है कि वे ऐसे आरोप लगा रहे हैं.

सवाल- अगर पार्टी ने उनको फिर टिकट दिया और वे जनप्रतिनिधि बने तो क्षेत्र के लिए क्या करेंगे?
अंबरीष रावत-जैदपुर में कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. उनकी प्राथमिकता होगी कि उनके क्षेत्र के युवक और युवतियों को उच्च शिक्षा के लिए परेशान न होना पड़े.

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