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इस बार किसको मिलेगी कुर्सी की 'कुर्सी', सपा-भाजपा में चल रही जोर-आजमाइश

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Published : Sep 7, 2021, 6:00 PM IST

सपा-भाजपा में चल रही जोर-आजमाइश

कुर्सी विधानसभा बाराबंकी जिले की मुख्य सीट मानी जाती है.इस सीट पर मुस्लिम और कुर्मी मतदाताओं का वर्चस्व है. लिहाजा, इन दो तबकों का वोट जिस उम्मीदवार के खाते में जाता है, उसकी विजय निश्चित है. 2012 में मुस्लिम यादव के अच्छे गठजोड़ के कारण सपा ने यहां से जीत हासिल की. वहीं 2017 में कुर्मी तबके से आने वाले साकेन्द्र वर्मा ने इस पर अपना दबदबा कायम किया. आइये जानते हैं इस सीट का क्या है समीकरण...

बाराबंकी: जिला मुख्यालय से उत्तर-पश्चिम में लखनऊ और सीतापुर जिलों की सीमा से सटी बाराबंकी जिले की कुर्सी विधानसभा वर्ष 2009 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इससे पहले ये फतेहपुर सुरक्षित विधानसभा का हिस्सा हुआ करती थी.फतेहपुर विधानसभा में फतेहपुर कस्बा, नगर पंचायत और तहसील है, जबकि कुर्सी महज एक गांव है जिसके नाम पर इस विधानसभा का नाम पड़ा. इस सीट के साथ एक संयोग ये भी जुड़ा है कि जबसे ये सीट अस्तित्व में आई है तभी से जिस पार्टी का प्रत्याशी यहां से जीता है प्रदेश की सत्ता भी उसी पार्टी ने संभाली है.

औद्योगिक क्षेत्र के साथ उन्नत खेती के लिए मशहूर
कुर्सी विधानसभा औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ उन्नत खेती के रूप में भी जानी जाती है. यहां 508 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र है.जिसमें दर्जनों छोटे-बड़े उद्योग हैं. आलू ,पिपरमेंट और धान की खेती इस विधानसभा में बहुतायत से होती है.विधानसभा सीट बनने से पहले ही कुर्सी कस्बा खासा चर्चित था. शारदा सहायक नहर के अलावा यहां कल्याणी नदी भी बहती है. इस इलाके में मझगवां शरीफ में स्थित हजरत शेख सारंग और फतेहपुर कस्बे में स्थित मजार समेत कई बुजुर्गों की मजारे हैं तो कई नामवर मंदिर भी हैं. इस विधानसभा में फतेहपुर और बेलहरा दो नगर पंचायतें आती हैं.

क्या है अबकी का गुणा-गणित.
कुर्सी का जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा में सबसे ज्यादा कुर्मी बिरादरी है, उसी के करीब मुस्लिम मतदाता हैं. उसके बाद यादव,ठाकुर और दलित बिरादरी के मतदाता हैं. मुस्लिम यादव के अच्छे गठजोड़ के चलते ही 2012 में सपा के फरीद महफूज ने जीत हासिल की थी. वहीं वर्ष 2017 में कुर्मी ,सवर्ण और दलित गठजोड़ में बाहरी होने के बावजूद भी कुर्मी बिरादरी के सकेन्द्र वर्मा ने यहां भगवा झंडा फहराया था. सकेन्द्र वर्मा सीतापुर जिले के महमूदाबाद के रहने वाले हैं.
कुर्सी विधानसभा.
सीट बनने के बाद 2012 में हुआ पहला चुनाव
आजादी के बाद से फतेहपुर विधानसभा सीट लगातार सुरक्षित चली आ रही थी. परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई कुर्सी विधानसभा में पहली बार वर्ष 2012 में हुए चुनाव में यहां से चुनाव लड़ने की हसरत पाले तमाम सामान्य वर्ग के लोगों ने अपनी किस्मत आजमाई. जिसमे सपा से फरीद महफूज किदवई, बीजेपी से राज लक्ष्मी वर्मा, बीएसपी से कुमारी मीता गौतम, कांग्रेस से निजामुद्दीन समेत 24 उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी. हालांकि मुख्य मुकाबला फरीद महफूज किदवई और बसपा उम्मीदवार में ही रहा. भाजपा उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी और सपा ने ये सीट 23937 वोटों से जीत ली.

वर्ष 2012 का चुनाव परिणाम
वर्ष 2017 का परिणाम
वर्ष 2017 में दूसरी बार हुए चुनाव में 16 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा में ही रहा. 2017 में अन्य सीटों की तरह ही यहां भी बसपा तीसरे स्थान पर रही. 2017 में भाजपा के साकेन्द्र प्रताप वर्मा ने ये सीट सपा के फरीद महफूज किदवई से 28,679 वोटों से छीन ली.

वर्ष 2017 का परिणाम
बाराबंकी जिले का ये है हाल

बाराबंकी का कुल क्षेत्रफल 3891.5 वर्ग.किमी. है. इसकी सीमा पूर्व में जिला फैजाबाद, पूर्वोत्तर में जिला गोंडा और जिला बहराइच, उत्तर पश्चिम में जिला सीतापुर, पश्चिम में जिला लखनऊ, दक्षिण में जिला रायबरेली और दक्षिण पूर्व में जिला अमेठी से छूती है. इस जिले में कुल गांव 1845 हैं और 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जबकि 1 लोकसभा क्षेत्र इस जिले में आता है. बाराबंकी की कुल जनसंख्या 32,60,699 है, जिनमें से 17,07,073 पुरुष हैं और 15,53,626 महिलाएं हैं. कुर्सी इस जिले की मुख्य विधानसभा सीट है. 2008 से, इस विधानसभा क्षेत्र की संख्या 403 निर्वाचन क्षेत्रों में से 266 है. विधानसभा में कुल 3.73,090 मतदाता हैं जिसमे 2,01,554 पुरुष , 1,71,533 महिला और 3 अन्य मतदाता हैं. इस सीट के साथ एक संयोग ये भी जुड़ा है कि जबसे ये सीट अस्तित्व में आई है तभी से जिस पार्टी का प्रत्याशी यहां से जीता है प्रदेश की सत्ता भी उसी पार्टी ने संभाली है. यही वजह है कि हर दल इस सीट को हथियाने की फिराक में है.

पूर्व सपा विधायक फरीद महफूज किदवई

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शुरू हुआ गुणा-गणित

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के लिए सियासी बिसात बिछ चुकी है. सूबे में अलग-अलग जातियों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) हर संभव कोशिश में जुटी हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां जीत के समीकरण और चुनावी रणनीति तैयार कर रही हैं. सभी की निगाहें जातीय वोट बैंक पर टिकी हैं. सपा और बीजेपी अति पिछड़ी जातियों में शामिल अलग-अलग जातियों को साधने के लिए उसी समाज के नेता को मोर्चे पर भी लगा दिया है. वहीं, चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले नेता मतदाताओं के बीच अभी से उन्हें रिझाने में लगे हुए हैं. इस बार भी इस सीट पर सपा से फरीद महफूज किदवई की दावेदारी काफी मजबूत है. हालांकि इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं. और वे टिकट पाने की कोशिशों में लगे हैं वहीं भाजपा फिर से कुर्मी चेहरे साकेन्द्र वर्मा को अपना उम्मीदवार बना सकती है.

वर्तमान विधायक कुर्सी साकेन्द्र वर्मा.

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