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अयोध्या में क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का चंपत राय ने किया उद्घाटन, बोले- वेद में ही विज्ञान है

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Published : Oct 11, 2022, 10:29 PM IST

अयोध्या में क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने वेद के महत्व को समझाया.

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अयोध्या में तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन

अयोध्याःश्रीराम की नगरी अयोध्या मेंसोमवार कोक्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. भारत सरकार की शीघ्र संस्था महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन और वशिष्ट विद्या समिति अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने सत्र का उद्घाटन करते हुए वेद की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार ने भी वेदशिक्षा को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान कर दी है. जब तक संसार के घर घर में भेद नहीं पहुंच जाता तब तक एक शुचिता से पूर्ण और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण समाज का निर्माण असंभव है. उन्होंने कहा कि वेद में ही विज्ञान है, जिसके रहस्य को समझ कर हम समाज को वैदिक सभ्यता को पुनर्जीवित करके उपहार दे सकते हैं .

बता दें कि भारत संस्कृत परिषद के अध्यक्ष राधा कृष्ण मनोरी जी ने मंच का संचालन किया. महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल मिश्र ने प्राचीन काल से आधुनिक काल तक वेद के माध्यम को लेकर कहा कि हमारा वातावरण विषाक्त हो गया. जिसको केवल वेद पारायण से ही समाप्त किया जा सकता है. वेद सर्वजनीन हैं, इसलिए आज आवश्यकता है कि हम वैदिक पद्धति को संरक्षित और संवर्धित करें.

अयोध्या में तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन में शामिल लोग

वैदिक विश्वविद्यालय तिरुपति के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुदर्शन शर्मा ने कहा कि अशोक सिंघल जी के सपनों को साकार करने के लिए अशोक सिंघल वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है. जिस विद्यालय में वेद मंत्रों के रहस्य को समझ कर आधुनिक विज्ञान और तकनीकी का विकास किया जाएगा. इससे समाज को वैज्ञानिकता का भान होगा. मणिराम छावनी के पूज्य महाराज कमलनयन दास जी ने वेदों की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि अब समय आ गया है कि शीघ्र ही वैदिक भारत की संकल्पना के अनुरूप राष्ट्र का निर्माण और इतिहास का संकलन होगा. सारे धर्म का मूल, आधुनिक तकनीकी, विज्ञान सब वेदों में समाहित है. आज आवश्यकता मात्र इतनी हैं कि हम समाज में इसको प्रचारित करें.

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