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भारत में G 20 की मीटिंग से बदलेगी जफर खां के मकबरे की किस्मत, जानिए कैसे ?

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Published : Nov 30, 2022, 2:37 PM IST

आगरा के कदम-कदम पर इतिहास दबा पड़ा है. जो इमारतें नामचीन हो गईं, उसे तो सरकार ने खूबसूरती से संभाला. आगरा के इतिहास में कई ऐसे शख्स थे, जिनकी मौत के बाद लोगों ने भूला दिया. ऐसे में उनके मकबरे भी जीर्ण-शीर्ण हो गए. मगर सितंबर 2023 में होने वाले G 20 की मीटिंग (G20 meeting in India) ने औरंगजेब के वजीर ए आजम रहे जफर खां के मकबरे (Zafar Khan tomb in Agra) की किस्मत बदल दी. जानिए कैसे

Etv Bharat Zafar Khan tomb in agra
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आगरा :भारत अब G-20 ग्रुप की मेजबानी करेगा. एक दिसंबर से एक साल तक भारत में G-20 के तमाम कार्यक्रम अलग-अलग प्रदेश और शहरों में होंगे. यूपी की राजधानी लखनऊ, बनारस, नोएडा और आगरा में G-20 का कॉन्क्लेव और सेमिनार होंगे. केन्द्र सरकार और संस्कृति मंत्रालय ने आगरा में G 20 के कल्चरल कोर ग्रुप की 9 और 10 सितंबर 2023 को बैठक होगी. कल्चरल कोर ग्रुप में शामिल सदस्य ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी समेत अन्य स्मारकों का भ्रमण करेंगे. संस्कृति मंत्रालय ने आगरा के स्मारकों की सूची भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ( एएसआई) को भेजी है. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल का कहना है कि G-20 के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने वॉटर वर्क्स चौराहा के स्थित जफर खां का मकबरा देखने की इच्छा जाहिर की है. इसके बाद से मुगलिया दरबार में खास रहे जफ़र खां और उसका मकबरा (Zafar Khan tomb in Agra ) चर्चा में आ गया है. एएसआई अधिकारी मकबरे को चमकाने में जुट गए हैं.

जानकारी देते हुए इतिहासकार राजकिशोर 'राजे'
औरंगजेब ने बनाया था जफर खां को वजीर-ए-आजम: मुगलिया सल्तनत के दौरान आगरा हिंदुस्तान का राजधानी रहा है. आज भी मुगलों की निशानी ताजमहल, आगरा किला, एत्मादउददौला, अकबर टॉम्ब, मरियम टॉम्ब समेत अन्य एतिहासिक इमारतें आगरा में मौजूद हैं. जफर खां का मकबरा भी उनमें से एक है. इतिहासकार राज किशोर 'राजे' ने बताया कि, जफर खां रिश्ते में मुमताज का बहनोई था. वह शाहजहां की बेगम मुमताज की छोटी बहन बेगम फरजाना का पति था. शाहजहां के दरबार में पांच हजार का मनसबदार थे. शाहजहां ने उसे पटना का गर्वनर बनाया था. वह पटना में रहकर मुगलिया सल्तनत संभालता था. जब मुगलिया सल्तनत की बागडोर औरंगजेब के हाथ आई तो उसने जफर खां को वजीर-ए-आजम बनाया. औरंगजेब के समय पर जफर खां ने अच्छी तरह से सत्ता संभाली थी. औरंगजेब अपने शासनकाल के दौरान लंबे समय तक दक्षिण भारत में रहा था. जफर खां का मकबरा वॉटर वर्क्स चौराहा से यमुना किनारे है, जिसकी हालत अभी काफी खराब है. इतिहासकार के मुताबिक 1670 में जफर खां की मौत हो गई थी.
जफर खां के मकबरे के बाहर पड़ी निर्माण सामग्री देखकर कोई पर्यटक इधर आता भी नहीं है.
मकबरा के साथ लाल मजिस्द भी होगी संरक्षित : एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि जफर खां के मकबरे के साथ ही वॉटर वर्क्स चौराहा के पास स्थित लाल मजिस्द को भी संरक्षित किया जा रहा है. यहां एएसआई की ओर से बाउंड्रीवॉल बनवाई जा रही थी, जिसे नगर निगम ने रोक दिया है. बाउंड्री वॉल बनाने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम के साथ बातचीत की जा रही है. दोनों ही विभागों को दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं. जल्द ही जफर खां के मकबरे को चमकाया जाएगा.
औरंगजेब के वजीर ए आजम रहे जफर खां के मकबरे के पास अभी रेत और धूल बिखरी पड़ी है.
जफर खान ने बनवाई थी लाल मस्जिद :वाटरवर्क्स स्थित लाल मस्जिद के इमाम तबरेज आलम ने बताया कि यह मस्जिद नवाब जफर खान ने बनवाई थी. इसमें हर दिन पांच वक्त की नमाज होती है. शुक्रवार को नमाजियों की संख्या डेढ़ सौ तक पहुंच जाती है. इसके पास में ही शाहिस्ता खान का मकबरा है. जफर खान का मकबरा सामने ही स्थित गौशाला परिसर में है. अभी हाल में एएसआई ने यहां पर बाउंड्री वॉल बनाने और संरक्षण का कार्य शुरू किया था. जिसे नगर निगम ने रुकवा दिया है.
एएसआई की ओर से लगाए गए बोर्ड पर भी पोस्टर चिपका दिए गए हैं, इस कारण लोगों को जफर खान के मकबरे के बारे में पता ही नहीं चलता है.
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