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कौन हैं राजा महेन्द्र प्रताप? जिनके नाम पर अलीगढ़ में बन रही है यूनिवर्सिटी

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में राजकीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के लिए अलीगढ़ आ रहे हैं.

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Published : Sep 7, 2021, 4:59 PM IST

अलीगढ़:AMU (Aligarh Muslim University) को शिक्षा के लिए जमीन दान देने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में राजकीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास होने जा रहा है. 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के लिए अलीगढ़ आएंगे. हालांकि इसकी घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ही कर दी थी.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह का फोटो
दरअसल राजा महेंद्र प्रताप सिंह का इतिहासकारों ने सही आंकलन नहीं किया. सरदार पटेल की तरह ही राजा महेंद्र प्रताप सिंह के साथ कांग्रेस सरकार के दौरान भी इतिहासकारों ने भी नाइंसाफी की. राजा महेंद्र प्रताप जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रांतिकारी का कद कई मायने में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के करीब था. इन्होंने देश के प्रधानमंत्री को भी चुनाव में धूल चटा दी थी. ये वह क्रांतिकारी थे, जिसने आजादी से 28 साल पहले वह काम कर दिया था. जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में आकर किया. यानी विदेशी धरती पर भारत की सरकार बनाना. राजा महेंद्र प्रताप वह व्यक्ति है, जिनको महात्मा गांधी की तरह ही 1948 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. लेकिन किसी कारणवश नोबेल पुरस्कार का ऐलान नहीं हुआ और पुरस्कार की राशि स्पेशल फंड में बाँट दी गई.
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर डाक टिकट
राजा महेंद्र प्रताप हाथरस जिले के मुरसान रियासत के राजा थे. इतिहासकारों ने राजा महेंद्र प्रताप का सही आंकलन किया होता तो इस महापुरुष को भी उसके शहर के नाम से जाना जाता. राजा महेंद्र प्रताप का जन्म जाट परिवार में एक दिसंबर 1886 को मुरसान रियासत में हुआ था. यह रियासत हाथरस जिले में है. महेन्द्र प्रताप, राजा घनश्याम सिंह के तीसरे बेटे थे. जब वे तीन साल के थे. तब हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें पुत्र के रूप में गोद ले लिया था. राजा महेंद्र प्रताप सिंह की शादी जींद रियासत की बलबीर कौर से हुई थी.
राजा महेंद्र प्रताप सिंह का फोटो

अंग्रेजी हुकूमत के दौर में कांग्रेसी नेताओं की हिम्मत नहीं थी कि पूर्ण स्वराज की मांग करें. लेकिन राजा महेंद्र प्रताप ने वह हिम्मत दिखाई. जिस साल महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका से भारत वापस लौटे थे और प्रथम विश्वयुद्ध के लिए भारतीयों को ब्रिटिश सेना में भर्ती करवा रहे थे. उस समय राजा महेंद्र प्रताप ने अफगानिस्तान जाकर पहली निर्वाचित सरकार बनाई थी. राजा महेंद्र प्रताप अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए जर्मनी, स्विट्जरलैंड, हंगरी, बुल्गारिया, टर्की, इजिप्ट के शासकों से समर्थन मांगा. वे रुस में ब्लादिमिर लेनिन (Vladimir Lenin) से भी मिले. महज 28 साल की उम्र में वे दुनिया के कई देशों के राजाओं से मिलकर भारत की आजादी के लिए प्रयास कर रहे थे. 32 सालों तक विदेशों में रहकर भारतीयों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने में लगे रहे.


राजा महेंद्र प्रताप आम शाही युवकों की तरह नहीं थे. उनके पास मौका था कि वह राजाओं के बने संघ में शामिल होकर अंग्रेजों से अपने लिए बेहतर सुविधाएं मांग सकते थे और जीवन भर खुश रहते. लेकिन राजा महेंद्र प्रताप उनमें से नहीं थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज (Muhammadan Anglo-Oriental College) अलीगढ़ में हुई. जो आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तौर पर जाना जाता है. इसी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को खोलने के लिए राजा महेंद्र प्रताप ने अपनी जमीन दान में दी थी. लेकिन विश्वविद्यालय ने उनके योगदान को कहीं अंकित नहीं किया.

राजा महेंद्र प्रताप के जन्मदिवस को व्यापक रूप से मनाने के लिए अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम ने आवाज उठाई और एएमयू (Aligarh Muslim University) कैंपस में उनको तरजीह दिए जाने को लेकर AMU कुलपति को भी पत्र लिखा. वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अलीगढ़ आकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राजकीय विश्वविद्यालय बनाने का भरोसा दिया था. अब यह विश्वविद्यालय लोधा के गांव मूसेपुर में प्रस्तावित है. जिला प्रशासन ने करीब 34 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि देने का निर्णय किया है. इसके लिए जमीन अधिग्रहित की गई है.

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राजा महेंद्र प्रताप सिंह को लेकर अलीगढ़ में ही नहीं, हरियाणा में भी जाट नेताओं ने सन 2018 में आवाज उठाई थी. तब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर रखने की बात कही थी. हालांकि अब 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इस विश्वविद्यालय के निर्माण में तेजी लाई जा रही है.

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