वित्त वर्ष 23 में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.2 फीसदी रहने का अनुमान

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Published : May 31, 2023, 10:27 PM IST

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सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था मार्च, 2023 तिमाही के बाद से तेज गति से बढ़ रही है. उद्योग मंडलों के अनुसार विनिर्माण और कृषि जैसे क्षेत्र आर्थिक गतिविधियों को गति दे रहे हैं.

नई दिल्ली: वित्तवर्ष 23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बुधवार को यह जानकारी दी. एनएसओ के अनुसार, 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की तुलना में 2022-23 के दौरान वास्तविक जीडीपी में वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. एनएसओ ने कहा कि 2022-23 की चौथी तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी.

एनएसओ ने कहा कि वित्तवर्ष 2022-23 में जीडीपी के 160.06 लाख करोड़ रुपये के स्तर को छूने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी का पहला संशोधित अनुमान 149.26 लाख करोड़ रुपये था. वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान वास्तविक जीडीपी में वृद्धि 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की तुलना में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसी तरह, 2022-23 की चौथी तिमाही में जीडीपी 43.62 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जबकि 2021-22 की चौथी तिमाही में जीडीपी 41.12 लाख करोड़ रुपये था, जो 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के हालिया वार्षिक सम्मेलन में कहा था कि रुझानों से लगता है कि वित्तवर्ष 23 के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7 प्रतिशत की वृद्धि को पार कर जाएगा. दास को विश्वास है कि वित्तवर्ष 24 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी.

दूसरी ओर, एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने हाल ही में कहा है: "चौथी तिमाही में विकास व्यापार, होटल और परिवहन में गति से संचालित होने की उम्मीद है, जबकि सरकारी खर्च में भी वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा, शुद्ध निर्यात और कम व्यापार घाटे को हम मौजूदा वित्तवर्ष की चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत पर देखते हैं और वित्तवर्ष 23 में 7 प्रतिशत पर देखते हैं. हालांकि, हमें उम्मीद है कि वित्तवर्ष 24 में विकास दर घटकर 5.7 प्रतिशत रह जाएगी."

आर्थिक वृद्धि दर मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत जबकि पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही. इस वृद्धि के बाद देश की अर्थव्यवस्था 3.3 लाख करोड़ डॉलर की हो गई है और इसने अगले पांच वर्षों में पांच लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य का मंच तैयार कर दिया है. वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 9.1 प्रतिशत रही थी.

उद्योग मंडल ऐसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, “वित्त वर्ष 2022-23 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्पष्ट संकेत दिखता है कि मार्च तिमाही से भारतीय अर्थव्यवस्था ने विनिर्माण, निर्माण और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि की है.” उन्होंने कहा कि कच्चे तेल सहित अन्य कच्चे माल की कीमतों में नरमी और ब्याज दर के उच्च स्तर पर पहुंचने को देखते हुए इसके आने वाले समय में इसी रफ्तार से आगे बढ़ने की उम्मीद है. उद्योग मंडल पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि सकल स्थिर पूंजी निर्माण स्थिर कीमतों पर जीडीपी के 34 प्रतिशत पर रहना उत्साहजनक है. यह रोजगार सृजन की प्रबल संभावनाओं के साथ अर्थव्यवस्था में पूंजी व्यय बढ़ने का संकेत देती है.

(इनपुट-एजेंसियां)

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