Pakistan Crisis : पहले से वित्तीय संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए इमरान की गिरफ्तारी 'विस्फोटक' संदेश

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Published : May 11, 2023, 9:30 PM IST

Updated : May 11, 2023, 9:44 PM IST

Pakistans ousted Prime Minister Imran Khan

पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद से देश हिंसा की आग में जल रहा है. आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति से जूझ रहे देश के लिए पहले ही मुश्किलें कम नहीं थीं. यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि देश में इस साल की आखिरी तिमाही में चुनाव होने हैं. ऐसे में सत्ता पक्ष की कोशिश होगी कि शक्तिशाली दुश्मन पार्टी पीटीआई के प्रमुख किसी तरह आगामी चुनाव न लड़ पाएं. पढ़िए ईटीवी भारत के न्यूज एडिटर बिलाल भट का विश्लेषण.

हैदराबाद : नेताओं को फांसी पर चढ़ाना, निर्वासित करके मौत के घाट उतारना, जेलों में बंद करना, घरों में नजरबंद करना, पाकिस्तान के इतिहास की विशेषता रही है और ऐसा लगता है कि ये कभी खत्म नहीं होगा. ताजा घटनाक्रम मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में हुआ, जहां पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कई मामलों में से दो में अदालत में पेश होना था, जहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सभी प्रकार के दंगा गियर से लैस सुरक्षा बल उन्हें एक भगोड़े की तरह घसीटकर वाहन तक ले गए.

देश में इस साल की आखिरी तिमाही में चुनाव होने हैं, ऐसे में सिंहासन (कुर्सी) का खेल शुरू हो गया है. मौजूदा व्यवस्था हरसंभव प्रयास करेगी कि उनकी शक्तिशाली दुश्मन, मुख्य राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख आगामी चुनाव न लड़ पाएं. तोशखाना सहित किसी मामले में दोषसिद्धि होने पर वह अयोग्य हो जाएंगे और चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, जिसके लिए वर्तमान शासन ने शायद देश के पूर्व प्रधानमंत्री को गिरफ्तार कर लिया है. इमरान की पार्टी देश में जल्द चुनाव कराने पर जोर दे रही है, जो पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच विवाद के कारण विफल हो गया है.

हालांकि खान को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली, जिसने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी को 'अवैध' घोषित कर दिया. उसके आदेश पर एक पीठ के समक्ष पेश किए जाने के बाद उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया. पीठ ने अल-कादिर ट्रस्ट मामले में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए अर्धसैनिक रेंजरों द्वारा उन्हें हिरासत में लेने के तरीके पर नाराजगी व्यक्त की. कोर्ट ने अधिकारियों को पेश करने का आदेश दिया.

पीठ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) को 70 वर्षीय नेता खान को शाम साढ़े चार बजे (स्थानीय समय) तक पेश करने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने घोषणा की कि खान की गिरफ्तारी 'अवैध' थी और आदेश दिया कि उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. जैसा कि उनके समर्थक अदालत के आदेश के बाद उनकी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं, हालांकि इमरान खान अब तक स्पष्ट रूप से समझ गए होंगे कि अब वह पाकिस्तानी सेना के चहेते नहीं हैं. सेना ने वर्तमान सरकार का साथ दिया है.

वहीं, ऐसा लगता है कि तालिबान ने भी अफगानिस्तान पर अधिकार प्राप्त करने के बाद अपनी वफादारी बदल ली है और इमरान से मुंह मोड़ लिया है. कभी तालिबान उनका प्रशंसक था, लेकिन अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद उसका रुख भी बदल गया है.

चीन की बात करें तो यह इमरान सरकार ही थी जिसने उइगर संकट पर चीनी सरकार के सामने समाधान प्रस्तावित किया था, जो कम्युनिस्ट देश के लिए आंख की किरकिरी थी. ऐसे समय में जब इमरान को चीन के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत है, उसने (चीन) इमरान के लिए या उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है. इसके बजाय चीन ने पाकिस्तान की सेना का तारीफ की है. ताजा घटनाक्रम पर चीन की स्थिति दर्शाती है कि सक्रिय भागीदारी से बचने के लिए कभी-कभी मौन का उपयोग किया जा सकता है.

चीन समझता है कि पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है वह नया नहीं है, और यह स्थिति एक अकल्पनीय परिदृश्य में स्नोबॉल करने की क्षमता रखती है. अतीत में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें शीर्ष पदों पर आसीन लोगों को जेल में डाल दिया गया और यहां तक ​​कि मौत की सजा भी दी गई है. जैसे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो. उन्हें अहमद रजा खान के खिलाफ हत्या की योजना बनाने का आदेश देने के लिए ये सजा दी गई. अहमद रजा खान भुट्टो सरकार के कट्टर आलोचक थे. रज़ा को मारने के उद्देश्य से किए गए गुप्त हमले में उनके पिता मोहम्मद अहमद खान कसूरी मारे गए. हालांकि हत्या के इस प्रयास में अहमद रज़ा बाल-बाल बच गए.

इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को सरकार विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर तीन महीने के लिए जेल भेज दिया गया था. एक अन्य नेता, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री हुसैन सुहरावर्दी को एकान्त कारावास में रखा गया था. क्योंकि वह तत्कालीन सैन्य नेतृत्व के चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने और सैन्य शासन स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हुए थे.

जनरल परवेज मुशर्रफ ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निर्वासन (बलपूर्वक देश से निकालना) में डाल दिया था. वहीं, खुद जनरल की भी मौत निर्वासन के दौरान हुई. इस साल फरवरी में दुबई में जनरल की मौत हुई थी. दोनों पाकिस्तान के सर्वोच्च पद पर रह चुके हैं. फ्रांज़ फेनॉन की पुस्तक (Franz Phenons book), व्रेचेड ऑफ़ द अर्थ (Wretched of the Earth) में कहा गया है कि, 'उत्पीड़ित की इच्छा उत्पीड़क बनने की होती है.' यह लाइन पाकिस्तान के कई प्रधानमंत्रियों के संदर्भ में फिट बैठती है, जिन्होंने दूसरों को सताया और खुद अपने समकालीनों द्वारा सताए गए.

पाकिस्तान में जो मौजूदा हालात हैं, उसका देश की वित्तीय स्थिति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वह पहले से ही भारी कर्ज और उसके बाद मुद्रास्फीति से जूझ रहा है. देश की मुद्रास्फीति पिछले एक सप्ताह में लगभग 47 प्रतिशत तक बढ़ गई है. बेलआउट राशि के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत भी बंद पड़ी है. सत्ता में परिवर्तन के साथ ही संकट के कारण लोगों के लिए इसकी प्राथमिकता को देखते हुए इस ओर भी तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.

कल डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की करेंसी 290 रुपये पर कारोबार कर रही थी. इमरान को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (National Accountability Bureau) के साथ 8 दिनों की हिरासत में भेजे जाने के बाद से राजनीतिक अशांति और हिंसा के कारण देश ने खून-खराबा और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान देखा है. इमरान की पीटीआई का खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और पंजाब में काफी प्रभाव है. अगर नजरबंदी जारी रही तो आने वाले दिनों में देश में स्थिति और खराब होने वाली है.

इमरान की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक अशांति और हिंसा ने देश को बड़े पैमाने पर रक्तपात के मुहाने पर खड़ा कर दिया है. हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और उनमें से कई ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर अपना गुस्सा जाहिर किया. खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और पंजाब में इमरान की पीटीआई का बहुत प्रभाव है और अगर किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जाता है और इमरान को हिरासत में रखा जाता है, तो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश के लिए हालात बद से बदतर हो सकते हैं.

पाकिस्तान एक अहम दौर से गुजर रहा है और उसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. अफगानिस्तान के तालिबान नेतृत्व के साथ वर्तमान सैन्य नेतृत्व की निकटता और केपीके और बलूचिस्तान के कबायली क्षेत्र में इमरान के प्रभाव को देखते हुए, देश भारत और चीन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.

चीन सीधे अपने हाथ जलाए बिना संकट को कम करने की कोशिश करेगा, क्योंकि कबायली क्षेत्र में किसी भी तरह की वृद्धि का सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) पर असर पड़ेगा. वर्तमान सैन्य नेतृत्व, चल रहे संकटों में और वृद्धि से बचने के लिए एलओसी पर देश का ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर सकता है. स्थिति कैसे सामने आती है, ये देखना दिलचस्प होगा.

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Last Updated :May 11, 2023, 9:44 PM IST
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