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Special: 75वें स्वतंत्रता दिवस पर स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल की जुबानी सुनिए...कैसे करते थे अंग्रेज दमन

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Published : Aug 14, 2021, 10:31 PM IST

Udaipur Freedom Fighter Manohar Lal, Udaipur News
स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल से खास बातचीत ()

15 अगस्त को हम आजादी का 75वां वर्षगांठ (75th independence Day) मनाने जा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने उदयपुर के स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल (Freedom Fighter Manohar Lal) से बातचीत की. जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई, अग्रेंजों की दमनकारी नीति और आजादी की पहली सुबह का आंखों देखी हाल बताया.

उदयपुर.राजस्थान के उदयपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मनोहर लाल उन स्वतंत्रता सेनानी में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया. देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से टक्कर ली. मनोहर लाल कहते हैं कि अंग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम को दबाने के लिए कई पैंतरे अपनाए लेकिन सेनानियों के देश प्रेम के आगे उनकी एक न चली.

1857 के बाद भारतीयों में एक अवधारणा पड़ गई अंग्रेज अजय हैं. इन्हें हराया नहीं जा सकता लेकिन महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जैसे सरीखे लोगों ने और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों ने देशवासियों को विश्वास दिलाया. जिसके बाद बिना युद्ध किए अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी के बाद भारत आजाद हुआ. हम आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम के मना रहे हैं. इस बीच ईटीवी भारत आपको उन वीर सेनानियों से रूबरू करवा रहा है. जिन्होंने आजादी के संग्राम में अपना सब कुछ न्योछावर कर संग्राम में कूद पड़े.

स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल से खास बातचीत पार्ट-1

राजस्थान के उदयपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मनोहर लाल उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों के जुल्म का सामना किया. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल ने आजादी के उस दौर के यादों को हम से साझा किया. उन्होंने बताया कि आजादी के उस दौर में जहां अंग्रेज अपना दमन दिखा रहे थे. जेल भरो आंदोलन की शुरुआत हुई.

स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल से खास बातचीत पार्ट-2

मनोहर लाल भी उदयपुर सेंट्रल जेल में अपने साथियों के साथ रहे लेकिन यह संग्राम इतना आसान नहीं था. ऐसे में अंग्रेजों ने इनके हौसले को तोड़ने के लिए कई तरह के इन पर क्रूरता की. जेल में उन्हें ऐसा खाना दिया जाता था कि जिसे जानवर भी खाना पसंद ना करें. रोटी आधी जली आधी कच्ची और दाल ऐसी कि पानी और दाल का अंतर भी नहीं समझ आए. उसके बावजूद दिलों में भारत की आजादी का सपना पिरोए, यह लोग दिन-रात अंग्रेजों से संघर्ष करते रहे. ऐसे में सभी लोगों ने जेल में हंगर स्ट्राइक कर दी. जिससे घबराकर अंग्रेजों ने भोजन में बदलाव किया और आलू की सब्जी और पूड़ी देने लगे.

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मनोहर लाल कहते हैं कि हम कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे. इस दौरान आजादी के आंदोलन में शामिल हुए. इस बीच मध्य रात्रि को हमें गिरफ्तार किया गया. जब हमलोगों की गिरफ्तारी का पता अन्य साथियों को चला तो वे भारी संख्या में जेल पहुंच गए. सभी को जेल में रखना मुश्किल हो गया. ऐसे में करीब 12 दिन जेल में बिताने के बाद अंग्रेजों ने हमें रिहा किया गया.

परिवार भी दवाब बनाया

अंग्रेजों ने परिवार जनों पर भी काफी दबाव बनाया. मेरे पिताजी सर्विस में थे. उन पर नौकरी से हटने का दबाव बनाया गया लेकिन इसके बावजूद भी हम लोगों पर अंग्रेजों की इन बातों का कोई असर नहीं हुआ. मनोहर लाल कहते हैं कि हम आजादी मिलने के बाद भी जश्न नहीं मना सके क्योंकि आजादी मिलने के बाद लोग हमसे खफा नजर आते थे. ऐसे में हमारे लीडर ने लोगों को समझाया.

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आजादी के 75 साल बाद भारत का अंतर

आजादी से पहले और आज के समय में काफी बदलाव नजर आता है. उस दौर में एक सुई भी कपड़े सिलने के लिए बाहर से मंगाई जाती थी, जो विदेशों से आती थी. ऐसे में हम जब पढ़ाई करते थे तो पेंसिल के ऊपर भी विदेशों की निशान रहते थे. भारत में उस समय कोई चीज नहीं बनती थी लेकिन आज भारत के पास परमाणु बम है. इससे हमें गर्व होता है कि हमारे भारत ने कितनी उन्नति और प्रगति कर ली है.

स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल से खास बातचीत पार्ट-3

चीन पर मनोहर लाल जी ने साधा निशाना

स्वतंत्रता सेनानी कहते हैं कि एक जमाना था, जब हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा देखने को मिलता था लेकिन आज के दौर में वह चीन हमारी सीमाओं पर हमें आंखें दिखा रहा है. ऐसे में कहां चीनी हिंदी भाई रहे. चीन और भारत का जिस दौर से गुजर रहा है, उससे कभी भी युद्ध होने की संभावना नजर आती है.

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