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तेजा गायन : राजस्थान के इस लोकगीत से बरस पड़ते हैं बादल, लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में छात्र कर रहे रिसर्च

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Published : Aug 6, 2021, 1:30 PM IST

देशभर में नागौर ऐसा जिला है जहां बारिश के लिए लोक देवता तेजाजी का तेजा गायन (Teja Gayan) होता है. मान्यता है कि इससे बारिश हो जाती है. तेजा गायन करने वालों का विश्वास ऐसा होता है कि गायन करने के लिए जो लोग आते हैं वे अपने साथ छाता लेकर ही आते हैं. लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) में छात्र इसपर रिसर्च कर रहे हैं.

Cambridge University, Teja sings for rain in Nagaur
बारिश के लिए होता है तेजा गायन

नागौर.जिले में इस बार अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन प्राचीन मान्यता है कि तेजा गायन (Teja Gayan) से इंद्र देव खुश होते हैं. बारिश के साथ ही फसल भी अच्छी होती है. किसान बिना बारिश के ही घर से छाता लेकर निकलते हैं और उनको गायन पर इतना भरोसा होता है कि वे गाएंगे और बारिश होने लगेगी. इस कारण खेतों में खड़े होकर किसान तेजा गायन कर रहे हैं.

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किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद: किसानों को उम्मीद है कि इस बार बारिश के साथ ही फसल अच्छी होगी. किसानों का कहना है कि पीढ़ियों से यह परंपरा चल रही है. हर वर्ष मानसून शुरू होते ही तेजा गायन करते हैं. तेजा गायन टेर राग में गाया जाता है. बता दें, राजस्थान मे वीर तेजा एक ऐसे जननायक के रूप मे जाने जाते हैं, जिन्होंने गायों की रक्षा करने के लिए अपनी कुर्बानी दे दी. सदियों से वीर तेजा की बहादुरी की गाथाओं को एक खास तरह की शैली मे गीतों के रूप में गाया जाता है, जिसे तेजा गायन (Teja Gayan) कहा जाता है.

बारिश के लिए होता है तेजा गायन

तेजा गायन पर 300 पेज की एक किताब

तेजा गायन की लोकप्रियता को देखते हुए 11 साल पहले इस गायन पर 300 पेज की एक किताब लिखी गई. किताब को कैंब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) में शोधार्थियों के लिए उपलब्ध कराया गया है. यूनिवर्सिटी में लोकगीत अध्ययन के एक चैप्टर में तेजा गायन (Teja Gayan) को शामिल किया गया और तब 3 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया गया था. अब वहां PHD (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) करने वाले विद्यार्थी तेजा गायन की स्टडी और रिसर्च करते हैं. यहां के विद्यार्थी अपनी रिसर्च के दौरान तेजा गाथा का अध्ययन कर इसे पुनर्सत्यापन भी करते हैं.

यहां है पूरी जानकारी उपलब्ध

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर तेजा गायन से जुड़ी किताब, 'तेजा गाथा' से जुड़े सभी दस्तावेज और ऑडियो-वीडियो की पूरी रिकॉर्डिंग की फाइलों के साथ पूरी जानकारी उपलब्ध है. दरअसल, कुछ ऐसे लोकगीत है जो गाए जाते हैं, लेकिन उनका कहीं रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. ऐसे लोकगीतों को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के ओरल परियोजना के तहत संकलित करवाया गया था.

इस परियोजना में तेजा गायन का हुआ था संकलन

ओरल परियोजना में ​​​​​राजस्थान और केरल के एक-एक लोकगीत का संकलन किया गया था. कोटा के मदन मीणा ने तेजाजी के लोकगीत का संकलन कर 'तेजा गाथा' नाम से लिटरेचर बनाया था, जिसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के विक्टोरिया सिंह के सहयोग से पूरा किया गया था. अब यह लिटरेचर PHD स्टूडेंट के स्टडी और रिसर्च के लिए उपलब्ध है.

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10वीं शताब्दी से हो रहा तेजा गायन: इतिहासकार

इतिहासकार अशोक चौधरी ने बताया कि तेजा गायन (Teja Gayan) बारिश और अच्छी फसल की कामना के लिए 10वीं शताब्दी से होता आ रहा है. पूरे देश में यह गीत लोक देवता वीर तेजाजी के नाम से केवल नागौर में ही गाया जाता है. तेजा गायन किसान ही मिलकर करते हैं. तेजा गायन को राग मेघ-मल्हार से जोड़कर देखा जाता है.

टेर राग में गाया जाता है तेजा गायन: रजनी गावड़िया

कर्माबाई जाट महिला संस्थान की प्रदेशाध्यक्ष डॉ. रजनी गावड़िया ने बताया कि तेजा गायन टेर राग में गाया जाता है. विशेषकर बारिश की कामना के लिए बिना किसी गाजे-बाजे के होता है. बारिश के लिए पूरे मन से किसान भगवान तेजाजी को मनाते हैं. तेजाजी इंद्र को खेतों में बारिश करने का आदेश देते हैं. तेज बारिश के बाद किसान खुश होता है.

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विधायक ने विधानसभा में किया था तेजा गायन

15वीं विधानसभा के पहले सत्र के 5वें दिन की शुरुआत में प्रश्नकाल के दौरान मकराना से भाजपा विधायक रूपाराम मुरावतिया ने तेजा गायन की प्रस्तुति दी थी. करीब 3 साल पहले उन्होंने इस सदन में कहा था कि तेजा गायन की अपनी विशिष्ट शैली है, जो विश्वभर में एकमात्र ऐसी है. उन्होंने तेजा गायन (Teja Gayan) पर शोध की मांग भी रखी थी. विधायक मुरावतिया का वीडियो तब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था.

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