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विधायक भरत सिंह ने वाइल्डलाइफ बोर्ड से दिया इस्तीफा, सीएम गहलोत पर लगाए आरोप

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Published : Jun 23, 2023, 7:05 PM IST

सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही उन्होंने सीएम पर वाइल्डलाइफ को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.

Sangod MLA Bharat Singh resigns from state wildlife board
विधायक भरत सिंह ने वाइल्डलाइफ बोर्ड से दिया इस्तीफा, सीएम गहलोत पर लगाए आरोप

कोटा.सांगोद सीट से विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. हालांकि उन्होंने अपनी विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है. वह स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के मेंबर हैं. इसी पद से उन्होंने इस्तीफा दिया है. साथ ही वन्य जीव और वाइल्डलाइफ के संबंध में रुचि नहीं रखने का आरोप भी मुख्यमंत्री गहलोत पर लगाया है. विधायक भरत सिंह ने सीएम गहलोत को भेजे पत्र में जिक्र किया है कि मेरे लेटर को ही स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड मेंबर से इस्तीफा माना जाए.

भरत सिंह का कहना है कि वन और वन्यजीव संरक्षण में मेरी बचपन से ही रुचि है. विधायक होते हुए भी मैं इस पर ध्यान देता रहा हूं. हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ सीएम गहलोत इस बोर्ड के प्रेसिडेंट भी हैं, लेकिन उनकी रूचि वाइल्डलाइफ को लेकर नहीं है. इसी के चलते स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक कभी समय पर नहीं होती है. उन्होंने कभी भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का अवलोकन भी नहीं किया है.

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दूसरी तरफ, उनका कहना है कि बारां जिले के अंता विधानसभा क्षेत्र में गोडावण प्रजनन केंद्र विकसित करने की घोषणा साल 2018-19 के बजट में की गई थी. उन्होंने अंता के विधायक और प्रदेश के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि सीएम गहलोत मंत्री भाया को संरक्षण दे रहे हैं. इस संरक्षण के चलते ही आपने राज्य पक्षी गोडावण के संबंध में की गई घोषणा को अंगूठा दिखा कर हवा निकाल दी है.

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सीनियर कैबिनेट मिनिस्टर को नजरअंदाज करने का लगाया आरोपःभरत सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि हाल ही में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के तबादले किए गए हैं. इन तबादलों को सीधे सीएमओ से ही किया गया है. मैंने इस संबंध में मंत्री हेमाराम चौधरी से बात की थी. उन्होंने कहा कि यह मेरे जरिए नहीं किए गए. सीधे सीएमओ से ही ट्रांसफर लिस्ट जारी की गई है. ऐसे में जब मंत्री चौधरी से ही वन अधिकारियों की तबादला सूची पर चर्चा नहीं की गई. यह खेदजनक है. सीनियर कैबिनेट मंत्री को नजरअंदाज करने का काम सीएमओ कर रहा है.

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