कोटा.विजयदशमी के दिन मंगलवार को कोटा के दशहरा मैदान के विजयश्री पर रावण दहन परंपरागत तरीके से किया गया. नगर निगम ने 75 फीट ऊंचा रावण और 50-50 फीट के मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले बनवाए थे, जिसमें पहली बार रावण के पुतले के साथ रथ भी बनाया गया था. इनके दहन के लिए भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी लाव लश्कर सहित पहुंची थी. यहां पर कोटा रियासत के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने दशहरा मैदान में सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की. इसके बाद रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया.
रावण के पुतले के साथ रथ भी बनाया गया :पूर्व महाराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही रावण के कुनबे का दहन शुरू हुआ. इसके बाद एक-एक करके पुतलों का दहन किया गया. सबसे पहले कुम्भकर्ण के पुतले को आग लगाई गई, इसके बाद मेघनाथ के पुतले को आग लगाई. अंत में रावण का पुतले पर तीर छोड़ा गया. देखते ही देखते करीब 2 मिनट में अहंकारी रावण का कुनबा भस्म हो गया. रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. इसके पहले विजयश्री रंगमंच पर करीब 45 मिनट रंगीन आतिशबाजी हुई. रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाए और खूब अट्टहास किया. इस बार ग्रीन आतिशबाजी के रंगीन नजारे थे. इसके साथ ही पहली बार रावण के पुतले के साथ रथ भी बनाया गया था.
परंपरागत दरीखाने की रस्म :रावण दहन के पहले गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म आयोजित हुई. इसमें गढ़ में पूजा-अर्चना के साथ राजसी वैभव और ठाट-बाट नजर आई. यहां हाड़ौती के सभी रजवाड़ों और ठिकानों से सरदार पहुंचे थे. इन सबने पूर्व महाराव इज्यराज सिंह और पूर्व महाराज कुमार जयदेव सिंह ने सभी से रामा श्यामी की. इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी दरीखाने की रस्म में शामिल होने पहुंचे. इसके बाद हाथी पर सवार होकर भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी निकाली गई. उनके पीछे इज्यराज सिंह खुली जीप में सवार होकर चल रहे थे. सवारी गढ़ पैलेस से रवाना होकर किशोरपुरा दरवाजे से होते हुए दशहरा मैदान स्थित विजयश्री रंगमंच पहुंची.