जोधपुर. हड्डियों के रोग ऑस्टियोपोरोसिस को "साइलेंट थीफ" भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं. ये बीमारी बढ़ती उम्र के साथ गंभीर होती जाती है और आगे तकलीफदेह हो जाती है. वहीं, देश-दुनिया में हर दिन इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार दुनिया में प्रत्येक तीन में से एक महिला व प्रत्येक पांच में से एक पुरुष जिसकी उम्र 50 या उससे अधिक है, वो इसकी चपेट में है. भारत में भी यही औसत है. अक्सर लोगों को हड्डियों की क्षीर्णता की वजह से फ्रैक्चर का सामना करना पड़ता है. विशेषकर भारत की बात करें तो देश में 61 मिलियन लोग इससे ग्रसित हैं. चिंता की बात यह है कि इनमें 80 फीसदी महिलाएं हैं. बीते दो दशक में तेजी से बदलती जीवन शैली के चलते इसकी परेशानी भी बढ़ी है.
समय रहते हो जाएं सावधान :डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. किशोर रायचंदानी का कहना है कि इससे बचने का एक मात्र उपाय एक्सरसाइज व संतुलित आहार है. ऐसे में 25 से 35 साल की उम्र में जागरूक होकर एक्सरसाइज व संतुलित आहार पर फोकस करना चाहिए, ताकि आगे दिक्कतें पेश न आएं. उन्होंने कहा कि संतुलित आहार लेने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों के साथ ही कैल्शियम व मिनरल मिलते हैं, जिनके शरीर में जमा होने से बुढ़ापे में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है. डॉ. रायचंदानी ने कहा कि महिलाओं को इसे लेकर अधिक सचेत होने की जरूरत है.
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कूल्हे फ्रैक्चर की प्रमुख वजह :बुजुर्गों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण सर्वाधिक कूल्हों के फ्रैक्चर का मामला सामने आता है. ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. कमलेश मालवीय ने बताया कि हमारे पास सर्वाधिक 60 और उससे अधिक उम्र के बुजुर्ग कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्याओं को लेकर आते हैं. ज्यादातर मामलों में बुजुर्ग घर पर ही गिर जाते हैं, जिससे उन्हें फ्रैक्चर संबंधित दिक्कतें होती हैं. वर्तमान में यह समस्या अब आम हो चली है, क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. इतना ही नहीं छोटी चोट भी फ्रैक्चर में तब्दील हो जाती है.