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TAVI टेक्निक से बदला 80 साल के वृद्ध के हार्ट का सिकुड़ा वाल्व, बिना चीर फाड़ के हुआ रिप्लेसमेंट

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Published : Jul 29, 2023, 9:29 PM IST

जोधपुर के मथुरा दास माथुर अस्पताल में बुधवार को पहली बार TAVI तकनीक से एक 80 वर्षीय बुजुर्ग के हार्ट का वाल्व बदला गया. बुजुर्ग पूरी तरह से स्वस्थ है और उपचार के बाद उसे शनिवार को छुट्टी दे दी गई.

heart valve replaced with Tavi Technique
heart valve replaced with Tavi Technique

जोधपुर. मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में बुधवार को TAVI (बिना चीरे के हृदय के वाल्व का प्रत्यारोपण) पद्धति से पहली बार एक 80 वर्षीय मरीज के हार्ट का वाल्व बदला गया. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पवन सारडा ने बताया कि मरीज 80 वर्षीया वृद्धा पूरी तरह से स्वस्थ है. उन्हें उपचार के बाद शनिवार को छुट्टी दे दी गई. उन्होंने आगे बताया कि मरीज के हृदय और शरीर में रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नाड़ी (एओर्टा) के मध्य स्थित एऑर्टिक वाल्व में गंभीर सिकुड़न (वालव्यूलर एऑर्टिक स्टेनोसिस) की तकलीफ थी. जिसके चलते मरीज के हृदय पर बहुत दबाव था और मरीज की सांस फूलने लगती थी. ऐसे में मरीज को कभी भी हार्ट फेल्यर या गंभीर अनियमित धड़कन का खतरा था.

सामान्यत इस बीमारी का इलाज चीरे वाले ऑपरेशन से सिकुड़े हुए वाल्व को बदलना रहता है. जिसे सर्जिकल एऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट कहते है. चूंकि मरीज 80 साल की वृद्धा थी तथा उन्हें गंभीर फेफड़ो की बीमारी भी थी जिसके कारण मरीज सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी. ऐसे में एऑर्टिक वाल्व का प्रत्यारोपण बिना चीरे, बिना बेहोशी एंजियोग्राफ़िक विधि से किया जाता है. जिसे ट्रांस कैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन ( TAVI) कहा जाता है.

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ऐसे में मरीज की इको और अन्य जांच करने के बाद TAVI का निर्णय लिया गया. मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. जयराम रावतानी ने बताया कि अब तक ये इलाज जोधपुर के बाहर प्राइवेट अस्पतालों में ही संभव था. जिसका खर्च बीस से पच्चीस लाख तक हो जाता था. लेकिन मथुरा दास माथुर अस्पताल में ये प्रकिर्या RGHS स्कीम के तहत पूरी तरह से निशुल्क हुआ. मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दिलीप कच्छवाहा और अधीक्षक मथुरादास माथुर अस्पताल डॉ. विकास राजपुरोहित ने पूरे हृदय रोग विभाग को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के उच्च स्तरीय प्रोसीजर कर के विभाग ने आम जन की सेवा करते हुए नए आयाम को छूआ है.

इस टीम ने किया प्रोसीजर - इस प्रोसीजर में डॉ. रोहित माथुर, डॉ. पवन सारडा, डॉ. अनिल बारूपाल, डॉ. सुभाष बलारा, डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. देवाराम, डॉ. राकेश कर्णावत, डॉ. शिखा सोनी, डॉ. गायत्री तंवर और नर्सिंग ऑफिसर महेंद्र, योगेश, हरीश, हेमलता, करुणा, नंदकिशोर, नवीन और कैथ लैब टेक्निशियन का योगदान रहा. इस प्रक्रिया के लिए जयपुर के TAVI विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र सिंह राव की भी विशेष सेवाएं ली गई.

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