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नागौर में मिले लिथियम के भंडार से चीन पर भारत की निर्भरता होगी समाप्त, सस्ते होंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और चार्जेबल डिवाइस

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Published : May 11, 2023, 8:50 AM IST

Updated : May 11, 2023, 10:15 AM IST

राजस्थान के नागौर के डेगाना का लिथियम चीन भारत समेत विश्व की निर्भरता करेगा समाप्त. इसकी उपलब्धता से इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और चार्जेबल डिवाइस का उत्पादन होगा सस्ता.

राजस्थान के नागौर में लिथियम का भंडार
राजस्थान के नागौर में लिथियम का भंडार

राजस्थान के मंत्री प्रमोद जैन भाया

जयपुर. राजस्थान के नागौर का डेगाना अब देश में अपनी पहचान लिथियम के सबसे बड़े उत्पादक के तौर बनाने जा रहा है. राजस्थान में जिस लिथियम के भंडार का भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और खनन अधिकारियों ने दावा किया है, उसके अनुसार नागौर के डेगाना में जम्मू कश्मीर में मिले लिथियम के भंंडार से कहीं ज्यादा है. राजस्थान के मंत्री प्रमोद जैन भाया ने इसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई और प्रदेश के खनन के रिसर्च में लगे अधिकारियों की मेहनत और प्रदेश सरकार की खनन रिसर्च की नीतियों का परिणाम बताया है. भाया ने कहा कि डेगाना में इतना लिथियम मौजूद है कि भारत की कुल मांग का 80 फ़ीसदी मांग को पूरा किया जा सकता है.

चीन का एकाधिकार और भारत की निर्भरता करेगा राजस्थान का लिथियम समाप्त :लिथियम एक अलौह धातु है जिसका उपयोग मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है. अभी तक भारत लिथियम के लिए विदेशी आपूर्ति पर निर्भर था. लेकिन अब जीएसआई को डेगाना के पास रेन वेट पहाड़ी में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. जहां से एक समय देश में टंगस्टन खनिज की आपूर्ति की जाती थी. एयरक्राफ्ट से लेकर विंड टरबाइन, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, मोबाइल और घर के हर छोटे मोटे चार्जेबल डिवाइस में लिथियम का इस्तेमाल दिनोदिन बढ़ रहा है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक लिथियम धातु की वैश्विक मांग में 500% वृद्धि हो जाएगी. ऐसे में राजस्थान में लिथियम का इतना बड़ा भंडार मिलने से न केवल प्रदेश के लिए बल्कि देश के लिए भी लाभदायक साबित होगा.

वर्तमान में बोलीविया 21 मिलियन टन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार वाला देश है, इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी लिथियम के बड़े भंडार मौजूद हैं. लेकिन चीन अपने 5.1 मिलियन टन लिथियम के भंडार से एकाधिकार बना कर बैठा है. भारत भी कुल लिथियम आयात का 53.76 फ़ीसदी हिस्सा चीन से खरीदता है. साल 2020-21 में भारत ने 6000 करोड रुपए से ज्यादा का लीथियम आयात किया थी. जिसमें से 3500 करोड़ से अधिक मूल्य की लिथियम अकेले चीन से खरीदा गया. ऐसे में राजस्थान के डेगाना में लिथियम के भंडार इतने है कि चीन के एकाधिकार और उस पर निर्भरता को पूरी तरीके से समाप्त किया जा सकता है. इसके साथ ही भारत हरित ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है.

आजादी से पहले अंग्रेज डेगाना की रेनवेट पहाड़ी से निकला टंगस्टन लेते थे, जीएसआई सर्वे टीम भी टंगस्टन ढूंढने आई और मिला लिथियम :डेगाना के रेन वेट की पहाड़ी पर साल 1914 में टंगस्टन खनिज की खोज हुई. आजादी से पहले प्रथम विश्वयुद्ध के समय यहां से उत्पादित टंगस्टन का उपयोग ब्रिटिश सेना के लिए युद्ध सामग्री बनाने में किया जाता था. आजादी के बाद देश में ऊर्जा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्जिकल उपकरण बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा और केंद्र सरकार के निर्देश पर टंगस्टन खनिज की खोज के लिए ही जीएसआई की टीम सर्वे के लिए डेगाना पहुंची थी, लेकिन जीएसआई की सर्वे टीम ने इस क्षेत्र में लिथियम के भंडार की उपलब्धता का भी पता लगाया.

अब तक के संकेतों में जीएसआई सर्वे टीम ने जी 2 चरण के सर्वे में उच्च गुणवत्ता वाले टंगस्टन के साथ-साथ लिथियम और 4 अन्य खनिजों के भंडार क्षेत्र में पाए हैं. वही डेगाना के साथ ही बाड़मेर, जैसलमेर समेत कुछ अन्य जगह पर भी लिथियम जमा होने की संभावना है. अब सर्वेक्षण दल लिथियम के अन्वेषण कार्य में तेजी ला रहा है ताकि जल्द से जल्द यहां g-2 स्टेज का अन्वेषण कर खनन के लिए नीलामी की जा सके. बता दें कि लिथियम दुनिया की सबसे हल्की धातु है, जिसकी जरूरत बैटरी से चलने वाले हर उपकरण को होती है. हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में लिथियम मौजूद होता है. इसके चलते दुनिया में इसकी जबरदस्त डिमांड है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक लिखे धातु की वैश्विक मांग में 500% तक वृद्धि होगी. जिसे देखते हुए राजस्थान में लिथियम का मिला भंडार न केवल प्रदेश बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक है.

Last Updated :May 11, 2023, 10:15 AM IST

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