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एसीएस गृह, डीजीपी और प्रमुख विधि सचिव बताएं, क्यों नहीं दी जजों को सुरक्षा ? : HC

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Published : Nov 1, 2022, 7:28 PM IST

Updated : Nov 1, 2022, 7:51 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को कोर्ट परिसर और आवास स्थल पर सुरक्षा नहीं देने और लापरवाही बरतने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने 10 नवंबर को एसीएस गृह, डीजीपी और प्रमुख सचिव को अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को कोर्ट परिसर और आवास स्थल पर सुरक्षा नहीं देने के मामले में लापरवाही बरतने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 10 नवंबर को एसीएस गृह, डीजीपी और प्रमुख विधि सचिव को पेश होने के आदेश दिए हैं. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने तीनों अधिकारियों से पूछा है कि तीन साल पहले हाईकोर्ट की ओर से आदेश देने के बाद भी न्यायिक अधिकारियों को अब तक पर्याप्त सुरक्षा मुहैया क्यों नहीं कराई. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते की न्यायिक अधिकारियों को जेड प्लस सुरक्षा मिले, लेकिन उनके काम को देखते हुए उचित सुरक्षा मिलनी ही चाहिए. अदालत ने अपने आदेश में नौ जुलाई 2017 को एक मामले में दिए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने निचली अदालतों के पीठासीन अधिकारियों की सुरक्षा के इंतजाम करने को कहा था. इसके तहत तत्काल जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के आवास पर सुरक्षाकर्मी तैनात करने के साथ ही अन्य न्यायिक अधिकारियों के लिए उचित सुरक्षा इंतेजाम करने थे, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी आदेश की पालना नहीं की गई.

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गौरतलब है कि गांधीनगर स्थित न्याय शिखा अपार्टमेंट में पिछले दिनों महिला न्यायिक अधिकारी के आवास पर चोरी हुई थी. यहां न्यायिक अधिकारियों के 32 आवास हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. अपार्टमेंट में चारों तरफ से कोई भी व्यक्ति कभी भी प्रवेश कर सकता है. इसके अलावा आसपास करीब एक सौ पचास से अधिक न्यायिक अधिकारी रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं हैं. वहीं, पद की गरिमा के चलते न्यायिक अधिकारी खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं.

एडीजे भर्ती विवाद के लिए जजों की कमेटी गठित : एक दूसरे मामले में राजस्थान हाइकोर्ट प्रशासन ने एडीजे भर्ती-2020 की लिखित परीक्षा के परिणाम को लेकर हुए विवाद के निस्तारण के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई है. कमेटी विवाद के निस्तारण के लिए अपने सुझाव देगी. वहीं, तीनों बार एसोसिएशन की ओर से भी वार्ता के लिए हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव गिर्राज शर्मा सहित तीन वकीलों को अधिकृत किया है. हाइकोर्ट प्रशासन ने जस्टिस एमएम श्रीवास्तव, जस्टिस पीएस भाटी और जस्टिस इंद्रजीत सिंह की कमेटी गठित करते हुए विवाद के निस्तारण के लिए सुझाव मांगे हैं.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट प्रशासन ने एडीजे भर्ती में न्यायिक कोटे की 16 सीटों और वकील कोटे की 85 सीटों के लिए हाल ही में लिखित परीक्षा आयोजित की थी. जिसमें वकील कोटे से सिर्फ चार अधिवक्ता साक्षात्कार के लिए पास हो पाए हैं. जबकि दूसरी ओर से न्यायिक कोटे के पदों के लिए एक भी न्यायिक अधिकारी पास नहीं हो सका. वकीलों की मांग है कि परिणाम को रद्द कर नए सिरे से पुन: परिणाम जारी किया जाए. दूसरी ओर प्रदेश में अधिवक्ताओं की नियामक संस्था बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने निर्णय लिया गया है कि डीजे कैडर.

भर्ती-2020 में शामिल सभी अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की पुन: जांच कराई जाए या सभी अभ्यर्थियों को समान रूप से दस फीसदी बोनस अंक दिए जाए, ताकि अधिक से अधिक अभ्यर्थी साक्षात्कार में उपस्थित होने के लिए तय न्यूनतम अंक हासिल कर सकें. इसके अलावा जब तक उत्तर पुस्तिकाओं की जांच नहीं हो जाती या बोनस अंक नहीं दिए जाते, तब तक प्रस्तावित साक्षात्कार को स्थगित किया जाए. बीते सोमवार को वकीलों की ओर से सीजे के चेम्बर का घेराव करने के बाद हाइकोर्ट प्रशासन ने वकीलों को वार्ता के लिए बुलाया था और तीन जजों की कमेटी गठित करने की बात कही थी.

शहर की चौपट सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम जिम्मेदार : राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर की सफाई व्यवस्था को चौपट बताते हुए कहा है कि इसके लिए नगर निगम जिम्मेदार है. गांधी नगर में न्यायाधीशों में आवास के पास भी हालात खराब हैं. यहां बच्चों के नेहरू पार्क में कचरे के ढेर लगे हुए हैं. ऐसे में नगर निगम इसकी जिम्मेदारी लेते हुए 11 नवंबर को अदालत में सफाई व्यवस्था का एक्शन प्लान पेश करे. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश शहर की सफाई व्यवस्था पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

Last Updated :Nov 1, 2022, 7:51 PM IST

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